Selected

Original Text
Suhel Khan and Saifur Nadwi

Available Translations

11 Hūd هُود

< Previous   123 Āyah   Hud      Next >  

بِسْمِ اللَّهِ الرَّحْمَٰنِ الرَّحِيمِ
In the name of Allah, Most Gracious, Most Merciful.

11:91 قَالُوا۟ يَـٰشُعَيْبُ مَا نَفْقَهُ كَثِيرًا مِّمَّا تَقُولُ وَإِنَّا لَنَرَىٰكَ فِينَا ضَعِيفًا ۖ وَلَوْلَا رَهْطُكَ لَرَجَمْنَـٰكَ ۖ وَمَآ أَنتَ عَلَيْنَا بِعَزِيزٍ
11:91 और वह लोग कहने लगे ऐ शुएब जो बाते तुम कहते हो उनमें से अक्सर तो हमारी समझ ही में नहीं आयी और इसमें तो शक नहीं कि हम तुम्हें अपने लोगों में बहुत कमज़ोर समझते है और अगर तुम्हारा क़बीला न होता तो हम तुम को (कब का) संगसार कर चुके होते और तुम तो हम पर किसी तरह ग़ालिब नहीं आ सकते - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)