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Suhel Khan and Saifur Nadwi

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12 Yūsuf يُوسُف

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بِسْمِ اللَّهِ الرَّحْمَٰنِ الرَّحِيمِ
In the name of Allah, Most Gracious, Most Merciful.

12:51 قَالَ مَا خَطْبُكُنَّ إِذْ رَٰوَدتُّنَّ يُوسُفَ عَن نَّفْسِهِۦ ۚ قُلْنَ حَـٰشَ لِلَّهِ مَا عَلِمْنَا عَلَيْهِ مِن سُوٓءٍ ۚ قَالَتِ ٱمْرَأَتُ ٱلْعَزِيزِ ٱلْـَٔـٰنَ حَصْحَصَ ٱلْحَقُّ أَنَا۠ رَٰوَدتُّهُۥ عَن نَّفْسِهِۦ وَإِنَّهُۥ لَمِنَ ٱلصَّـٰدِقِينَ
12:51 या वह (मेरी) इसमें तो शक़ ही नहीं कि मेरा परवरदिगार ही उनके मक्र से खूब वाक़िफ है चुनान्चे बादशाह ने (उन औरतों को तलब किया) और पूछा कि जिस वक्त तुम लोगों ने यूसुफ से अपना मतलब हासिल करने की खुद उन से तमन्ना की थी तो हमें क्या मामला पेश आया था वह सब की सब अर्ज क़रने लगी हाशा अल्लाह हमने यूसुफ में तो किसी तरह की बुराई नहीं देखी (तब) अज़ीज़ मिस्र की बीबी (ज़ुलेख़ा) बोल उठी अब तू ठीक ठीक हाल सब पर ज़ाहिर हो ही गया (असल बात ये है कि) मैने खुद उससे अपना मतलब हासिल करने की तमन्ना की थी और बेशक वह यक़ीनन सच्चा है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)