Selected

Original Text
Suhel Khan and Saifur Nadwi

Available Translations

16 An-Naĥl ٱلنَّحْل

< Previous   128 Āyah   The Bee      Next >  

بِسْمِ اللَّهِ الرَّحْمَٰنِ الرَّحِيمِ
In the name of Allah, Most Gracious, Most Merciful.

16:32 ٱلَّذِينَ تَتَوَفَّىٰهُمُ ٱلْمَلَـٰٓئِكَةُ طَيِّبِينَ ۙ يَقُولُونَ سَلَـٰمٌ عَلَيْكُمُ ٱدْخُلُوا۟ ٱلْجَنَّةَ بِمَا كُنتُمْ تَعْمَلُونَ
16:32 (ये) वह लोग हैं जिनकी रुहें फरिश्ते इस हालत में क़ब्ज़ करतें हैं कि वह (नजासते कुफ्र से) पाक व पाकीज़ा होते हैं तो फरिश्ते उनसे (निहायत तपाक से) कहते है सलामुन अलैकुम जो नेकियाँ दुनिया में तुम करते थे उसके सिले में जन्नत में (बेतकल्लुफ) चले जाओ - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)