Selected

Original Text
Suhel Khan and Saifur Nadwi

Available Translations

42 Ash-Shūraá ٱلشُّورىٰ

< Previous   53 Āyah   The Consultation      Next >  

بِسْمِ اللَّهِ الرَّحْمَٰنِ الرَّحِيمِ
In the name of Allah, Most Gracious, Most Merciful.

42:15 فَلِذَٰلِكَ فَٱدْعُ ۖ وَٱسْتَقِمْ كَمَآ أُمِرْتَ ۖ وَلَا تَتَّبِعْ أَهْوَآءَهُمْ ۖ وَقُلْ ءَامَنتُ بِمَآ أَنزَلَ ٱللَّهُ مِن كِتَـٰبٍ ۖ وَأُمِرْتُ لِأَعْدِلَ بَيْنَكُمُ ۖ ٱللَّهُ رَبُّنَا وَرَبُّكُمْ ۖ لَنَآ أَعْمَـٰلُنَا وَلَكُمْ أَعْمَـٰلُكُمْ ۖ لَا حُجَّةَ بَيْنَنَا وَبَيْنَكُمُ ۖ ٱللَّهُ يَجْمَعُ بَيْنَنَا ۖ وَإِلَيْهِ ٱلْمَصِيرُ
42:15 तो (ऐ रसूल) तुम (लोगों को) उसी (दीन) की तरफ बुलाते रहे जो और जैसा तुमको हुक्म हुआ है (उसी पर क़ायम रहो और उनकी नफ़सियानी ख्वाहिशों की पैरवी न करो और साफ़ साफ़ कह दो कि जो किताब ख़ुदा ने नाज़िल की है उस पर मैं ईमान रखता हूँ और मुझे हुक्म हुआ है कि मैं तुम्हारे एख्तेलाफात के (दरमेयान) इन्साफ़ (से फ़ैसला) करूँ ख़ुदा ही हमारा भी परवरदिगार है और वही तुम्हारा भी परवरदिगार है हमारी कारगुज़ारियाँ हमारे ही लिए हैं और तुम्हारी कारस्तानियाँ तुम्हारे वास्ते हममें और तुममें तो कुछ हुज्जत (व तक़रार की ज़रूरत) नहीं ख़ुदा ही हम (क़यामत में) सबको इकट्ठा करेगा - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)