Selected

Original Text
Suhel Khan and Saifur Nadwi

Available Translations

6 Al-'An`ām ٱلْأَنْعَام

< Previous   165 Āyah   The Cattle      Next >  

بِسْمِ اللَّهِ الرَّحْمَٰنِ الرَّحِيمِ
In the name of Allah, Most Gracious, Most Merciful.

6:114 أَفَغَيْرَ ٱللَّهِ أَبْتَغِى حَكَمًا وَهُوَ ٱلَّذِىٓ أَنزَلَ إِلَيْكُمُ ٱلْكِتَـٰبَ مُفَصَّلًا ۚ وَٱلَّذِينَ ءَاتَيْنَـٰهُمُ ٱلْكِتَـٰبَ يَعْلَمُونَ أَنَّهُۥ مُنَزَّلٌ مِّن رَّبِّكَ بِٱلْحَقِّ ۖ فَلَا تَكُونَنَّ مِنَ ٱلْمُمْتَرِينَ
6:114 और ताकि जो लोग इफ़तेरा परदाज़ियाँ ये लोग ख़ुद करते हैं वह भी करने लगें (क्या तुम ये चाहते हो कि) मैं ख़ुदा को छोड़ कर किसी और को सालिस तलाश करुँ हालॉकि वह वही ख़ुदा है जिसने तुम्हारे पास वाज़ेए किताब नाज़िल की और जिन लोगों को हमने किताब अता फरमाई है वह यक़ीनी तौर पर जानते हैं कि ये (कुरान भी) तुम्हारे परवरदिगार की तरफ से बरहक़ नाज़िल किया गया है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)