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Suhel Khan and Saifur Nadwi

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7 Al-'A`rāf ٱلْأَعْرَاف

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بِسْمِ اللَّهِ الرَّحْمَٰنِ الرَّحِيمِ
In the name of Allah, Most Gracious, Most Merciful.

7:137 وَأَوْرَثْنَا ٱلْقَوْمَ ٱلَّذِينَ كَانُوا۟ يُسْتَضْعَفُونَ مَشَـٰرِقَ ٱلْأَرْضِ وَمَغَـٰرِبَهَا ٱلَّتِى بَـٰرَكْنَا فِيهَا ۖ وَتَمَّتْ كَلِمَتُ رَبِّكَ ٱلْحُسْنَىٰ عَلَىٰ بَنِىٓ إِسْرَٰٓءِيلَ بِمَا صَبَرُوا۟ ۖ وَدَمَّرْنَا مَا كَانَ يَصْنَعُ فِرْعَوْنُ وَقَوْمُهُۥ وَمَا كَانُوا۟ يَعْرِشُونَ
7:137 और जिन बेचारों को ये लोग कमज़ोर समझते थे उन्हीं को (मुल्क शाम की) ज़मीन का जिसमें हमने (ज़रखेज़ होने की) बरकत दी थी उसके पूरब पश्चिम (सब) का वारिस (मालिक) बना दिया और चूंकि बनी इसराईल नें (फिरऔन के ज़ालिमों) पर सब्र किया था इसलिए तुम्हारे परवरदिगार का नेक वायदा (जो उसने बनी इसराइल से किया था) पूरा हो गया और जो कुछ फिरऔन और उसकी क़ौम के लोग करते थे और जो ऊँची ऊँची इमारते बनाते थे सब हमने बरबाद कर दी - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)