Selected

Original Text
Farooq Khan and Ahmed

Available Translations

8 Al-'Anfāl ٱلْأَنْفَال

< Previous   75 Āyah   The Spoils of War      Next >  

بِسْمِ اللَّهِ الرَّحْمَٰنِ الرَّحِيمِ
In the name of Allah, Most Gracious, Most Merciful.

8:72 إِنَّ ٱلَّذِينَ ءَامَنُوا۟ وَهَاجَرُوا۟ وَجَـٰهَدُوا۟ بِأَمْوَٰلِهِمْ وَأَنفُسِهِمْ فِى سَبِيلِ ٱللَّهِ وَٱلَّذِينَ ءَاوَوا۟ وَّنَصَرُوٓا۟ أُو۟لَـٰٓئِكَ بَعْضُهُمْ أَوْلِيَآءُ بَعْضٍ ۚ وَٱلَّذِينَ ءَامَنُوا۟ وَلَمْ يُهَاجِرُوا۟ مَا لَكُم مِّن وَلَـٰيَتِهِم مِّن شَىْءٍ حَتَّىٰ يُهَاجِرُوا۟ ۚ وَإِنِ ٱسْتَنصَرُوكُمْ فِى ٱلدِّينِ فَعَلَيْكُمُ ٱلنَّصْرُ إِلَّا عَلَىٰ قَوْمٍۭ بَيْنَكُمْ وَبَيْنَهُم مِّيثَـٰقٌ ۗ وَٱللَّهُ بِمَا تَعْمَلُونَ بَصِيرٌ
8:72 जो लोग ईमान लाए और उन्होंने हिजरत की और अल्लाह के मार्ग में अपने मालों और अपनी जानों के साथ जिहाद किया और जिन लोगों ने उन्हें शरण दी और सहायता की, वही लोग परस्पर एक-दूसरे के संरक्षक मित्र है। रहे वे लोग जो ईमान लाए, किन्तु उन्होंने हिजरत नहीं की, उनसे तुम्हारा संरक्षण और मित्रता का कोई सम्बन्ध नहीं है, जब तक कि वे हिजरत न करें, किन्तु यदि वे धर्म के मामले में तुमसे सहायता माँगे तो तुमपर अनिवार्य है कि सहायता करो, सिवाय इसके कि सहायता किसी ऐसी क़ौम के मुक़ाबले में हो जिससे तुम्हारी कोई संधि हो। तुम जो कुछ करते हो अल्लाह उसे देखता है - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)