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Suhel Khan and Saifur Nadwi

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9 At-Tawbah ٱلتَّوْبَة

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9:36 إِنَّ عِدَّةَ ٱلشُّهُورِ عِندَ ٱللَّهِ ٱثْنَا عَشَرَ شَهْرًا فِى كِتَـٰبِ ٱللَّهِ يَوْمَ خَلَقَ ٱلسَّمَـٰوَٰتِ وَٱلْأَرْضَ مِنْهَآ أَرْبَعَةٌ حُرُمٌ ۚ ذَٰلِكَ ٱلدِّينُ ٱلْقَيِّمُ ۚ فَلَا تَظْلِمُوا۟ فِيهِنَّ أَنفُسَكُمْ ۚ وَقَـٰتِلُوا۟ ٱلْمُشْرِكِينَ كَآفَّةً كَمَا يُقَـٰتِلُونَكُمْ كَآفَّةً ۚ وَٱعْلَمُوٓا۟ أَنَّ ٱللَّهَ مَعَ ٱلْمُتَّقِينَ
9:36 इसमें तो शक़ ही नहीं कि ख़ुदा ने जिस दिन आसमान व ज़मीन को पैदा किया (उसी दिन से) ख़ुदा के नज़दीक ख़ुदा की किताब (लौहे महफूज़) में महीनों की गिनती बारह महीने है उनमें से चार महीने (अदब व) हुरमत के हैं यही दीन सीधी राह है तो उन चार महीनों में तुम अपने ऊपर (कुश्त व ख़ून (मार काट) करके) ज़ुल्म न करो और मुशरेकीन जिस तरह तुम से सबके बस मिलकर लड़ते हैं तुम भी उसी तरह सबके सब मिलकर उन से लड़ों और ये जान लो कि ख़ुदा तो यक़ीनन परहेज़गारों के साथ है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)