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Suhel Khan and Saifur Nadwi

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43 Az-Zukhruf ٱلْزُّخْرُف

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بِسْمِ اللَّهِ الرَّحْمَٰنِ الرَّحِيمِ
In the name of Allah, Most Gracious, Most Merciful.

43:1 حمٓ
43:1 हा मीम - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

43:2 وَٱلْكِتَـٰبِ ٱلْمُبِينِ
43:2 रौशन किताब (क़ुरान) की क़सम - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

43:3 إِنَّا جَعَلْنَـٰهُ قُرْءَٰنًا عَرَبِيًّا لَّعَلَّكُمْ تَعْقِلُونَ
43:3 हमने इस किताब को अरबी ज़बान कुरान ज़रूर बनाया है ताकि तुम समझो - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

43:4 وَإِنَّهُۥ فِىٓ أُمِّ ٱلْكِتَـٰبِ لَدَيْنَا لَعَلِىٌّ حَكِيمٌ
43:4 और बेशक ये (क़ुरान) असली किताब (लौह महफूज़) में (भी जो) मेरे पास है लिखी हुई है (और) यक़ीनन बड़े रूतबे की (और) पुरअज़ हिकमत है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

43:5 أَفَنَضْرِبُ عَنكُمُ ٱلذِّكْرَ صَفْحًا أَن كُنتُمْ قَوْمًا مُّسْرِفِينَ
43:5 भला इस वजह से कि तुम ज्यादती करने वाले लोग हो हम तुमको नसीहत करने से मुँह मोड़ेंगे (हरगिज़ नहीं) - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

43:6 وَكَمْ أَرْسَلْنَا مِن نَّبِىٍّ فِى ٱلْأَوَّلِينَ
43:6 और हमने अगले लोगों को बहुत से पैग़म्बर भेजे थे - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

43:7 وَمَا يَأْتِيهِم مِّن نَّبِىٍّ إِلَّا كَانُوا۟ بِهِۦ يَسْتَهْزِءُونَ
43:7 और कोई पैग़म्बर उनके पास ऐसा नहीं आया जिससे इन लोगों ने ठट्ठे नहीं किए हो - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

43:8 فَأَهْلَكْنَآ أَشَدَّ مِنْهُم بَطْشًا وَمَضَىٰ مَثَلُ ٱلْأَوَّلِينَ
43:8 तो उनमें से जो ज्यादा ज़ोरावर थे तो उनको हमने हलाक कर मारा और (दुनिया में) अगलों के अफ़साने जारी हो गए - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

43:9 وَلَئِن سَأَلْتَهُم مَّنْ خَلَقَ ٱلسَّمَـٰوَٰتِ وَٱلْأَرْضَ لَيَقُولُنَّ خَلَقَهُنَّ ٱلْعَزِيزُ ٱلْعَلِيمُ
43:9 और (ऐ रसूल) अगर तुम उनसे पूछो कि सारे आसमान व ज़मीन को किसने पैदा किया तो वह ज़रूर कह देंगे कि उनको बड़े वाक़िफ़कार ज़बरदस्त (ख़ुदा ने) पैदा किया है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

43:10 ٱلَّذِى جَعَلَ لَكُمُ ٱلْأَرْضَ مَهْدًا وَجَعَلَ لَكُمْ فِيهَا سُبُلًا لَّعَلَّكُمْ تَهْتَدُونَ
43:10 जिसने तुम लोगों के वास्ते ज़मीन का बिछौना बनाया और (फिर) उसमें तुम्हारे नफ़े के लिए रास्ते बनाए ताकि तुम राह मालूम करो - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

43:11 وَٱلَّذِى نَزَّلَ مِنَ ٱلسَّمَآءِ مَآءًۢ بِقَدَرٍ فَأَنشَرْنَا بِهِۦ بَلْدَةً مَّيْتًا ۚ كَذَٰلِكَ تُخْرَجُونَ
43:11 और जिसने एक (मुनासिब) अन्दाजे क़े साथ आसमान से पानी बरसाया फिर हम ही ने उसके (ज़रिए) से मुर्दा (परती) शहर को ज़िन्दा (आबाद) किया उसी तरह तुम भी (क़यामत के दिन क़ब्रों से) निकाले जाओगे - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

43:12 وَٱلَّذِى خَلَقَ ٱلْأَزْوَٰجَ كُلَّهَا وَجَعَلَ لَكُم مِّنَ ٱلْفُلْكِ وَٱلْأَنْعَـٰمِ مَا تَرْكَبُونَ
43:12 और जिसने हर किस्म की चीज़े पैदा कीं और तुम्हारे लिए कश्तियां बनायीं और चारपाए (पैदा किए) जिन पर तुम सवार होते हो - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

43:13 لِتَسْتَوُۥا۟ عَلَىٰ ظُهُورِهِۦ ثُمَّ تَذْكُرُوا۟ نِعْمَةَ رَبِّكُمْ إِذَا ٱسْتَوَيْتُمْ عَلَيْهِ وَتَقُولُوا۟ سُبْحَـٰنَ ٱلَّذِى سَخَّرَ لَنَا هَـٰذَا وَمَا كُنَّا لَهُۥ مُقْرِنِينَ
43:13 ताकि तुम उसकी पीठ पर चढ़ो और जब उस पर (अच्छी तरह) सीधे हो बैठो तो अपने परवरदिगार का एहसान माना करो और कहो कि वह (ख़ुदा हर ऐब से) पाक है जिसने इसको हमारा ताबेदार बनाया हालॉकि हम तो ऐसे (ताक़तवर) न थे कि उस पर क़ाबू पाते - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

43:14 وَإِنَّآ إِلَىٰ رَبِّنَا لَمُنقَلِبُونَ
43:14 और हमको तो यक़ीनन अपने परवरदिगार की तरफ लौट कर जाना है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

43:15 وَجَعَلُوا۟ لَهُۥ مِنْ عِبَادِهِۦ جُزْءًا ۚ إِنَّ ٱلْإِنسَـٰنَ لَكَفُورٌ مُّبِينٌ
43:15 और उन लोगों ने उसके बन्दों में से उसके लिए औलाद क़रार दी है इसमें शक़ नहीं कि इन्सान खुल्लम खुल्ला बड़ा ही नाशक्रा है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

43:16 أَمِ ٱتَّخَذَ مِمَّا يَخْلُقُ بَنَاتٍ وَأَصْفَىٰكُم بِٱلْبَنِينَ
43:16 क्या उसने अपनी मख़लूक़ात में से ख़ुद तो बेटियाँ ली हैं और तुमको चुनकर बेटे दिए हैं - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

43:17 وَإِذَا بُشِّرَ أَحَدُهُم بِمَا ضَرَبَ لِلرَّحْمَـٰنِ مَثَلًا ظَلَّ وَجْهُهُۥ مُسْوَدًّا وَهُوَ كَظِيمٌ
43:17 हालॉकि जब उनमें किसी शख़्श को उस चीज़ (बेटी) की ख़ुशख़बरी दी जाती है जिसकी मिसल उसने ख़ुदा के लिए बयान की है तो वह (ग़ुस्से के मारे) सियाह हो जाता है और ताव पेंच खाने लगता है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

43:18 أَوَمَن يُنَشَّؤُا۟ فِى ٱلْحِلْيَةِ وَهُوَ فِى ٱلْخِصَامِ غَيْرُ مُبِينٍ
43:18 क्या वह (औरत) जो ज़ेवरों में पाली पोसी जाए और झगड़े में (अच्छी तरह) बात तक न कर सकें (ख़ुदा की बेटी हो सकती है) - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

43:19 وَجَعَلُوا۟ ٱلْمَلَـٰٓئِكَةَ ٱلَّذِينَ هُمْ عِبَـٰدُ ٱلرَّحْمَـٰنِ إِنَـٰثًا ۚ أَشَهِدُوا۟ خَلْقَهُمْ ۚ سَتُكْتَبُ شَهَـٰدَتُهُمْ وَيُسْـَٔلُونَ
43:19 और उन लोगों ने फ़रिश्तों को कि वह भी ख़ुदा के बन्दे हैं (ख़ुदा की) बेटियाँ बनायी हैं लोग फरिश्तों की पैदाइश क्यों खड़े देख रहे थे अभी उनकी शहादत क़लम बन्द कर ली जाती है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

43:20 وَقَالُوا۟ لَوْ شَآءَ ٱلرَّحْمَـٰنُ مَا عَبَدْنَـٰهُم ۗ مَّا لَهُم بِذَٰلِكَ مِنْ عِلْمٍ ۖ إِنْ هُمْ إِلَّا يَخْرُصُونَ
43:20 और (क़यामत) में उनसे बाज़पुर्स की जाएगी और कहते हैं कि अगर ख़ुदा चाहता तो हम उनकी परसतिश न करते उनको उसकी कुछ ख़बर ही नहीं ये लोग तो बस अटकल पच्चू बातें किया करते हैं - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

43:21 أَمْ ءَاتَيْنَـٰهُمْ كِتَـٰبًا مِّن قَبْلِهِۦ فَهُم بِهِۦ مُسْتَمْسِكُونَ
43:21 या हमने उनको उससे पहले कोई किताब दी थी कि ये लोग उसे मज़बूत थामें हुए हैं - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

43:22 بَلْ قَالُوٓا۟ إِنَّا وَجَدْنَآ ءَابَآءَنَا عَلَىٰٓ أُمَّةٍ وَإِنَّا عَلَىٰٓ ءَاثَـٰرِهِم مُّهْتَدُونَ
43:22 बल्कि ये लोग तो ये कहते हैं कि हमने अपने बाप दादाओं को एक तरीके पर पाया और हम उनको क़दम ब क़दम ठीक रास्ते पर चले जा रहें हैं - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

43:23 وَكَذَٰلِكَ مَآ أَرْسَلْنَا مِن قَبْلِكَ فِى قَرْيَةٍ مِّن نَّذِيرٍ إِلَّا قَالَ مُتْرَفُوهَآ إِنَّا وَجَدْنَآ ءَابَآءَنَا عَلَىٰٓ أُمَّةٍ وَإِنَّا عَلَىٰٓ ءَاثَـٰرِهِم مُّقْتَدُونَ
43:23 और (ऐ रसूल) इसी तरह हमने तुमसे पहले किसी बस्ती में कोई डराने वाला (पैग़म्बर) नहीं भेजा मगर वहाँ के ख़ुशहाल लोगों ने यही कहा कि हमने अपने बाप दादाओं को एक तरीके पर पाया, और हम यक़ीनी उनके क़दम ब क़दम चले जा रहे हैं - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

43:24 ۞ قَـٰلَ أَوَلَوْ جِئْتُكُم بِأَهْدَىٰ مِمَّا وَجَدتُّمْ عَلَيْهِ ءَابَآءَكُمْ ۖ قَالُوٓا۟ إِنَّا بِمَآ أُرْسِلْتُم بِهِۦ كَـٰفِرُونَ
43:24 (इस पर) उनके पैग़म्बर ने कहा भी जिस तरीक़े पर तुमने अपने बाप दादाओं को पाया अगरचे मैं तुम्हारे पास इससे बेहतर राहे रास्त पर लाने वाला दीन लेकर आया हूँ (तो भी न मानोगे) वह बोले (कुछ हो मगर) हम तो उस दीन को जो तुम देकर भेजे गए हो मानने वाले नहीं - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

43:25 فَٱنتَقَمْنَا مِنْهُمْ ۖ فَٱنظُرْ كَيْفَ كَانَ عَـٰقِبَةُ ٱلْمُكَذِّبِينَ
43:25 तो हमने उनसे बदला लिया (तो ज़रा) देखो तो कि झुठलाने वालों का क्या अन्जाम हुआ - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

43:26 وَإِذْ قَالَ إِبْرَٰهِيمُ لِأَبِيهِ وَقَوْمِهِۦٓ إِنَّنِى بَرَآءٌ مِّمَّا تَعْبُدُونَ
43:26 (और वह वख्त याद करो) जब इब्राहीम ने अपने (मुँह बोले) बाप (आज़र) और अपनी क़ौम से कहा कि जिन चीज़ों को तुम लोग पूजते हो मैं यक़ीनन उससे बेज़ार हूँ - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

43:27 إِلَّا ٱلَّذِى فَطَرَنِى فَإِنَّهُۥ سَيَهْدِينِ
43:27 मगर उसकी इबादत करता हूँ, जिसने मुझे पैदा किया तो वही बहुत जल्द मेरी हिदायत करेगा - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

43:28 وَجَعَلَهَا كَلِمَةًۢ بَاقِيَةً فِى عَقِبِهِۦ لَعَلَّهُمْ يَرْجِعُونَ
43:28 और उसी (ईमान) को इब्राहीम ने अपनी औलाद में हमेशा बाक़ी रहने वाली बात छोड़ गए ताकि वह (ख़ुदा की तरफ रूजू) करें - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

43:29 بَلْ مَتَّعْتُ هَـٰٓؤُلَآءِ وَءَابَآءَهُمْ حَتَّىٰ جَآءَهُمُ ٱلْحَقُّ وَرَسُولٌ مُّبِينٌ
43:29 बल्कि मैं उनको और उनके बाप दादाओं को फायदा पहुँचाता रहा यहाँ तक कि उनके पास (दीने) हक़ और साफ़ साफ़ बयान करने वाला रसूल आ पहुँचा - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

43:30 وَلَمَّا جَآءَهُمُ ٱلْحَقُّ قَالُوا۟ هَـٰذَا سِحْرٌ وَإِنَّا بِهِۦ كَـٰفِرُونَ
43:30 और जब उनके पास (दीन) हक़ आ गया तो कहने लगे ये तो जादू है और हम तो हरगिज़ इसके मानने वाले नहीं - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

43:31 وَقَالُوا۟ لَوْلَا نُزِّلَ هَـٰذَا ٱلْقُرْءَانُ عَلَىٰ رَجُلٍ مِّنَ ٱلْقَرْيَتَيْنِ عَظِيمٍ
43:31 और कहने लगे कि ये क़ुरान इन दो बस्तियों (मक्के ताएफ) में से किसी बड़े आदमी पर क्यों नहीं नाज़िल किया गया - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

43:32 أَهُمْ يَقْسِمُونَ رَحْمَتَ رَبِّكَ ۚ نَحْنُ قَسَمْنَا بَيْنَهُم مَّعِيشَتَهُمْ فِى ٱلْحَيَوٰةِ ٱلدُّنْيَا ۚ وَرَفَعْنَا بَعْضَهُمْ فَوْقَ بَعْضٍ دَرَجَـٰتٍ لِّيَتَّخِذَ بَعْضُهُم بَعْضًا سُخْرِيًّا ۗ وَرَحْمَتُ رَبِّكَ خَيْرٌ مِّمَّا يَجْمَعُونَ
43:32 ये लोग तुम्हारे परवरदिगार की रहमत को (अपने तौर पर) बाँटते हैं हमने तो इनके दरमियान उनकी रोज़ी दुनयावी ज़िन्दगी में बाँट ही दी है और एक के दूसरे पर दर्जे बुलन्द किए हैं ताकि इनमें का एक दूसरे से ख़िदमत ले और जो माल (मतआ) ये लोग जमा करते फिरते हैं ख़ुदा की रहमत (पैग़म्बर) इससे कहीं बेहतर है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

43:33 وَلَوْلَآ أَن يَكُونَ ٱلنَّاسُ أُمَّةً وَٰحِدَةً لَّجَعَلْنَا لِمَن يَكْفُرُ بِٱلرَّحْمَـٰنِ لِبُيُوتِهِمْ سُقُفًا مِّن فِضَّةٍ وَمَعَارِجَ عَلَيْهَا يَظْهَرُونَ
43:33 और अगर ये बात न होती कि (आख़िर) सब लोग एक ही तरीक़े के हो जाएँगे तो हम उनके लिए जो ख़ुदा से इन्कार करते हैं उनके घरों की छतें और वही सीढ़ियाँ जिन पर वह चढ़ते हैं (उतरते हैं) - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

43:34 وَلِبُيُوتِهِمْ أَبْوَٰبًا وَسُرُرًا عَلَيْهَا يَتَّكِـُٔونَ
43:34 और उनके घरों के दरवाज़े और वह तख्त जिन पर तकिये लगाते हैं चाँदी और सोने के बना देते - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

43:35 وَزُخْرُفًا ۚ وَإِن كُلُّ ذَٰلِكَ لَمَّا مَتَـٰعُ ٱلْحَيَوٰةِ ٱلدُّنْيَا ۚ وَٱلْـَٔاخِرَةُ عِندَ رَبِّكَ لِلْمُتَّقِينَ
43:35 ये सब साज़ो सामान, तो बस दुनियावी ज़िन्दगी के (चन्द रोज़ा) साज़ो सामान हैं (जो मिट जाएँगे) और आख़ेरत (का सामान) तो तुम्हारे परवरदिगार के यहॉ ख़ास परहेज़गारों के लिए है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

43:36 وَمَن يَعْشُ عَن ذِكْرِ ٱلرَّحْمَـٰنِ نُقَيِّضْ لَهُۥ شَيْطَـٰنًا فَهُوَ لَهُۥ قَرِينٌ
43:36 और जो शख़्श ख़ुदा की चाह से अन्धा बनता है हम (गोया ख़ुद) उसके वास्ते शैतान मुक़र्रर कर देते हैं तो वही उसका (हर दम का) साथी है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

43:37 وَإِنَّهُمْ لَيَصُدُّونَهُمْ عَنِ ٱلسَّبِيلِ وَيَحْسَبُونَ أَنَّهُم مُّهْتَدُونَ
43:37 और वह (शयातीन) उन लोगों को (ख़ुदा की) राह से रोकते रहते हैं बावजूद इसके वह उसी ख्याल में हैं कि वह यक़ीनी राहे रास्त पर हैं - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

43:38 حَتَّىٰٓ إِذَا جَآءَنَا قَالَ يَـٰلَيْتَ بَيْنِى وَبَيْنَكَ بُعْدَ ٱلْمَشْرِقَيْنِ فَبِئْسَ ٱلْقَرِينُ
43:38 यहाँ तक कि जब (क़यामत में) हमारे पास आएगा तो (अपने साथी शैतान से) कहेगा काश मुझमें और तुममें पूरब पश्चिम का फ़ासला होता ग़रज़ (शैतान भी) क्या ही बुरा रफीक़ है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

43:39 وَلَن يَنفَعَكُمُ ٱلْيَوْمَ إِذ ظَّلَمْتُمْ أَنَّكُمْ فِى ٱلْعَذَابِ مُشْتَرِكُونَ
43:39 और जब तुम नाफरमानियाँ कर चुके तो (शयातीन के साथ) तुम्हारा अज़ाब में शरीक होना भी आज तुमको (अज़ाब की कमी में) कोई फायदा नहीं पहुँचा सकता - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

43:40 أَفَأَنتَ تُسْمِعُ ٱلصُّمَّ أَوْ تَهْدِى ٱلْعُمْىَ وَمَن كَانَ فِى ضَلَـٰلٍ مُّبِينٍ
43:40 तो (ऐ रसूल) क्या तुम बहरों को सुना सकते हो या अन्धे को और उस शख़्श को जो सरीही गुमराही में पड़ा हो रास्ता दिखा सकते हो (हरगिज़ नहीं) - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

43:41 فَإِمَّا نَذْهَبَنَّ بِكَ فَإِنَّا مِنْهُم مُّنتَقِمُونَ
43:41 तो अगर हम तुमको (दुनिया से) ले भी जाएँ तो भी हमको उनसे बदला लेना ज़रूरी है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

43:42 أَوْ نُرِيَنَّكَ ٱلَّذِى وَعَدْنَـٰهُمْ فَإِنَّا عَلَيْهِم مُّقْتَدِرُونَ
43:42 या (तुम्हारी ज़िन्दगी ही में) जिस अज़ाब का हमने उनसे वायदा किया है तुमको दिखा दें तो उन पर हर तरह क़ाबू रखते हैं - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

43:43 فَٱسْتَمْسِكْ بِٱلَّذِىٓ أُوحِىَ إِلَيْكَ ۖ إِنَّكَ عَلَىٰ صِرَٰطٍ مُّسْتَقِيمٍ
43:43 तो तुम्हारे पास जो वही भेजी गयी है तुम उसे मज़बूत पकड़े रहो इसमें शक़ नहीं कि तुम सीधी राह पर हो - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

43:44 وَإِنَّهُۥ لَذِكْرٌ لَّكَ وَلِقَوْمِكَ ۖ وَسَوْفَ تُسْـَٔلُونَ
43:44 और ये (क़ुरान) तुम्हारे लिए और तुम्हारी क़ौम के लिए नसीहत है और अनक़रीब ही तुम लोगों से इसकी बाज़पुर्स की जाएगी - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

43:45 وَسْـَٔلْ مَنْ أَرْسَلْنَا مِن قَبْلِكَ مِن رُّسُلِنَآ أَجَعَلْنَا مِن دُونِ ٱلرَّحْمَـٰنِ ءَالِهَةً يُعْبَدُونَ
43:45 और हमने तुमसे पहले अपने जितने पैग़म्बर भेजे हैं उन सब से दरियाफ्त कर देखो क्या हमने ख़ुदा कि सिवा और माबूद बनाएा थे कि उनकी इबादत की जाए - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

43:46 وَلَقَدْ أَرْسَلْنَا مُوسَىٰ بِـَٔايَـٰتِنَآ إِلَىٰ فِرْعَوْنَ وَمَلَإِي۟هِۦ فَقَالَ إِنِّى رَسُولُ رَبِّ ٱلْعَـٰلَمِينَ
43:46 और हम ही ने यक़ीनन मूसा को अपनी निशानियाँ देकर फिरऔन और उसके दरबारियों के पास (पैग़म्बर बनाकर) भेजा था तो मूसा ने कहा कि मैं सारे जहॉन के पालने वाले (ख़ुदा) का रसूल हूँ - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

43:47 فَلَمَّا جَآءَهُم بِـَٔايَـٰتِنَآ إِذَا هُم مِّنْهَا يَضْحَكُونَ
43:47 तो जब मूसा उन लोगों के पास हमारे मौजिज़े लेकर आए तो वह लोग उन मौजिज़ों की हँसी उड़ाने लगे - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

43:48 وَمَا نُرِيهِم مِّنْ ءَايَةٍ إِلَّا هِىَ أَكْبَرُ مِنْ أُخْتِهَا ۖ وَأَخَذْنَـٰهُم بِٱلْعَذَابِ لَعَلَّهُمْ يَرْجِعُونَ
43:48 और हम जो मौजिज़ा उन को दिखाते थे वह दूसरे से बढ़ कर होता था और आख़िर हमने उनको अज़ाब में गिरफ्तार किया ताकि ये लोग बाज़ आएँ - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

43:49 وَقَالُوا۟ يَـٰٓأَيُّهَ ٱلسَّاحِرُ ٱدْعُ لَنَا رَبَّكَ بِمَا عَهِدَ عِندَكَ إِنَّنَا لَمُهْتَدُونَ
43:49 और (जब) अज़ाब में गिरफ्तार हुए तो (मूसा से) कहने लगे ऐ जादूगर इस एहद के मुताबिक़ जो तुम्हारे परवरदिगार ने तुमसे किया है हमारे वास्ते दुआ कर - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

43:50 فَلَمَّا كَشَفْنَا عَنْهُمُ ٱلْعَذَابَ إِذَا هُمْ يَنكُثُونَ
43:50 (अगर अब की छूटे) तो हम ज़रूर ऊपर आ जाएँगे फिर जब हमने उनसे अज़ाब को हटा दिया तो वह फौरन (अपना) अहद तोड़ बैठे - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

43:51 وَنَادَىٰ فِرْعَوْنُ فِى قَوْمِهِۦ قَالَ يَـٰقَوْمِ أَلَيْسَ لِى مُلْكُ مِصْرَ وَهَـٰذِهِ ٱلْأَنْهَـٰرُ تَجْرِى مِن تَحْتِىٓ ۖ أَفَلَا تُبْصِرُونَ
43:51 और फिरऔन ने अपने लोगों में पुकार कर कहा ऐ मेरी क़ौम क्या (ये) मुल्क मिस्र हमारा नहीं और (क्या) ये नहरें जो हमारे (शाही महल के) नीचे बह रही हैं (हमारी नहीं) तो क्या तुमको इतना भी नहीं सूझता - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

43:52 أَمْ أَنَا۠ خَيْرٌ مِّنْ هَـٰذَا ٱلَّذِى هُوَ مَهِينٌ وَلَا يَكَادُ يُبِينُ
43:52 या (सूझता है कि) मैं इस शख़्श (मूसा) से जो एक ज़लील आदमी है और (हकले पन की वजह से) साफ़ गुफ्तगू भी नहीं कर सकता - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

43:53 فَلَوْلَآ أُلْقِىَ عَلَيْهِ أَسْوِرَةٌ مِّن ذَهَبٍ أَوْ جَآءَ مَعَهُ ٱلْمَلَـٰٓئِكَةُ مُقْتَرِنِينَ
43:53 कहीं बहुत बेहतर हूँ (अगर ये बेहतर है तो इसके लिए सोने के कंगन) (ख़ुदा के हॉ से) क्यों नहीं उतारे गये या उसके साथ फ़रिश्ते जमा होकर आते - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

43:54 فَٱسْتَخَفَّ قَوْمَهُۥ فَأَطَاعُوهُ ۚ إِنَّهُمْ كَانُوا۟ قَوْمًا فَـٰسِقِينَ
43:54 ग़रज़ फिरऔन ने (बातें बनाकर) अपनी क़ौम की अक़ल मार दी और वह लोग उसके ताबेदार बन गये बेशक वह लोग बदकार थे ही - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

43:55 فَلَمَّآ ءَاسَفُونَا ٱنتَقَمْنَا مِنْهُمْ فَأَغْرَقْنَـٰهُمْ أَجْمَعِينَ
43:55 ग़रज़ जब उन लोगों ने हमको झुझंला दिया तो हमने भी उनसे बदला लिया तो हमने उन सब (के सब) को डुबो दिया - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

43:56 فَجَعَلْنَـٰهُمْ سَلَفًا وَمَثَلًا لِّلْـَٔاخِرِينَ
43:56 फिर हमने उनको गया गुज़रा और पिछलों के वास्ते इबरत बना दिया - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

43:57 ۞ وَلَمَّا ضُرِبَ ٱبْنُ مَرْيَمَ مَثَلًا إِذَا قَوْمُكَ مِنْهُ يَصِدُّونَ
43:57 और(ऐ रसूल) जब मरियम के बेटे (ईसा) की मिसाल बयान की गयी तो उससे तुम्हारी क़ौम के लोग खिलखिला कर हंसने लगे - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

43:58 وَقَالُوٓا۟ ءَأَـٰلِهَتُنَا خَيْرٌ أَمْ هُوَ ۚ مَا ضَرَبُوهُ لَكَ إِلَّا جَدَلًۢا ۚ بَلْ هُمْ قَوْمٌ خَصِمُونَ
43:58 और बोल उठे कि भला हमारे माबूद अच्छे हैं या वह (ईसा) उन लोगों ने जो ईसा की मिसाल तुमसे बयान की है तो सिर्फ झगड़ने को - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

43:59 إِنْ هُوَ إِلَّا عَبْدٌ أَنْعَمْنَا عَلَيْهِ وَجَعَلْنَـٰهُ مَثَلًا لِّبَنِىٓ إِسْرَٰٓءِيلَ
43:59 बल्कि (हक़ तो यह है कि) ये लोग हैं झगड़ालू ईसा तो बस हमारे एक बन्दे थे जिन पर हमने एहसान किया (नबी बनाया और मौजिज़े दिये) और उनको हमने बनी इसराईल के लिए (अपनी कुदरत का) नमूना बनाया - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

43:60 وَلَوْ نَشَآءُ لَجَعَلْنَا مِنكُم مَّلَـٰٓئِكَةً فِى ٱلْأَرْضِ يَخْلُفُونَ
43:60 और अगर हम चाहते तो तुम ही लोगों में से (किसी को) फ़रिश्ते बना देते जो तुम्हारी जगह ज़मीन में रहते - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

43:61 وَإِنَّهُۥ لَعِلْمٌ لِّلسَّاعَةِ فَلَا تَمْتَرُنَّ بِهَا وَٱتَّبِعُونِ ۚ هَـٰذَا صِرَٰطٌ مُّسْتَقِيمٌ
43:61 और वह तो यक़ीनन क़यामत की एक रौशन दलील है तुम लोग इसमें हरगिज़ यक़ न करो और मेरी पैरवी करो यही सीधा रास्ता है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

43:62 وَلَا يَصُدَّنَّكُمُ ٱلشَّيْطَـٰنُ ۖ إِنَّهُۥ لَكُمْ عَدُوٌّ مُّبِينٌ
43:62 और (कहीं) शैतान तुम लोगों को (इससे) रोक न दे वही यक़ीनन तुम्हारा खुल्लम खुल्ला दुश्मन है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

43:63 وَلَمَّا جَآءَ عِيسَىٰ بِٱلْبَيِّنَـٰتِ قَالَ قَدْ جِئْتُكُم بِٱلْحِكْمَةِ وَلِأُبَيِّنَ لَكُم بَعْضَ ٱلَّذِى تَخْتَلِفُونَ فِيهِ ۖ فَٱتَّقُوا۟ ٱللَّهَ وَأَطِيعُونِ
43:63 और जब ईसा वाज़ेए व रौशन मौजिज़े लेकर आये तो (लोगों से) कहा मैं तुम्हारे पास दानाई (की किताब) लेकर आया हूँ ताकि बाज़ बातें जिन में तुम लोग एख्तेलाफ करते थे तुमको साफ-साफ बता दूँ तो तुम लोग ख़ुदा से डरो और मेरा कहा मानो - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

43:64 إِنَّ ٱللَّهَ هُوَ رَبِّى وَرَبُّكُمْ فَٱعْبُدُوهُ ۚ هَـٰذَا صِرَٰطٌ مُّسْتَقِيمٌ
43:64 बेशक ख़ुदा ही मेरा और तुम्हार परवरदिगार है तो उसी की इबादत करो यही सीधा रास्ता है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

43:65 فَٱخْتَلَفَ ٱلْأَحْزَابُ مِنۢ بَيْنِهِمْ ۖ فَوَيْلٌ لِّلَّذِينَ ظَلَمُوا۟ مِنْ عَذَابِ يَوْمٍ أَلِيمٍ
43:65 तो इनमें से कई फिरक़े उनसे एख्तेलाफ करने लगे तो जिन लोगों ने ज़ुल्म किया उन पर दर्दनांक दिन के अज़ब से अफ़सोस है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

43:66 هَلْ يَنظُرُونَ إِلَّا ٱلسَّاعَةَ أَن تَأْتِيَهُم بَغْتَةً وَهُمْ لَا يَشْعُرُونَ
43:66 क्या ये लोग बस क़यामत के ही मुन्ज़िर बैठे हैं कि अचानक ही उन पर आ जाए और उन को ख़बर तक न हो - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

43:67 ٱلْأَخِلَّآءُ يَوْمَئِذٍۭ بَعْضُهُمْ لِبَعْضٍ عَدُوٌّ إِلَّا ٱلْمُتَّقِينَ
43:67 (दिली) दोस्त इस दिन (बाहम) एक दूसरे के दुशमन होगें मगर परहेज़गार कि वह दोस्त ही रहेगें - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

43:68 يَـٰعِبَادِ لَا خَوْفٌ عَلَيْكُمُ ٱلْيَوْمَ وَلَآ أَنتُمْ تَحْزَنُونَ
43:68 और ख़ुदा उनसे कहेगा ऐ मेरे बन्दों आज न तो तुमको कोई ख़ौफ है और न तुम ग़मग़ीन होगे - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

43:69 ٱلَّذِينَ ءَامَنُوا۟ بِـَٔايَـٰتِنَا وَكَانُوا۟ مُسْلِمِينَ
43:69 (यह) वह लोग हैं जो हमारी आयतों पर ईमान लाए और (हमारे) फ़रमाबरदार थे - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

43:70 ٱدْخُلُوا۟ ٱلْجَنَّةَ أَنتُمْ وَأَزْوَٰجُكُمْ تُحْبَرُونَ
43:70 तो तुम अपनी बीवियों समैत एजाज़ व इकराम से बेहिश्त में दाखिल हो जाओ - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

43:71 يُطَافُ عَلَيْهِم بِصِحَافٍ مِّن ذَهَبٍ وَأَكْوَابٍ ۖ وَفِيهَا مَا تَشْتَهِيهِ ٱلْأَنفُسُ وَتَلَذُّ ٱلْأَعْيُنُ ۖ وَأَنتُمْ فِيهَا خَـٰلِدُونَ
43:71 उन पर सोने की एक रिक़ाबियों और प्यालियों का दौर चलेगा और वहाँ जिस चीज़ को जी चाहे और जिससे ऑंखें लज्ज़त उठाएं (सब मौजूद हैं) और तुम उसमें हमेशा रहोगे - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

43:72 وَتِلْكَ ٱلْجَنَّةُ ٱلَّتِىٓ أُورِثْتُمُوهَا بِمَا كُنتُمْ تَعْمَلُونَ
43:72 और ये जन्नत जिसके तुम वारिस (हिस्सेदार) कर दिये गये हो तुम्हारी क़ारगुज़ारियों का सिला है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

43:73 لَكُمْ فِيهَا فَـٰكِهَةٌ كَثِيرَةٌ مِّنْهَا تَأْكُلُونَ
43:73 वहाँ तुम्हारे वास्ते बहुत से मेवे हैं जिनको तुम खाओगे - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

43:74 إِنَّ ٱلْمُجْرِمِينَ فِى عَذَابِ جَهَنَّمَ خَـٰلِدُونَ
43:74 (गुनाहगार कुफ्फ़ार) तो यक़ीकन जहन्नुम के अज़ाब में हमेशा रहेगें - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

43:75 لَا يُفَتَّرُ عَنْهُمْ وَهُمْ فِيهِ مُبْلِسُونَ
43:75 जो उनसे कभी नाग़ा न किया जाएगा और वह इसी अज़ाब में नाउम्मीद होकर रहेंगें - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

43:76 وَمَا ظَلَمْنَـٰهُمْ وَلَـٰكِن كَانُوا۟ هُمُ ٱلظَّـٰلِمِينَ
43:76 और हमने उन पर कोई ज़ुल्म नहीं किया बल्कि वह लोग ख़ुद अपने ऊपर ज़ुल्म कर रहे हैं - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

43:77 وَنَادَوْا۟ يَـٰمَـٰلِكُ لِيَقْضِ عَلَيْنَا رَبُّكَ ۖ قَالَ إِنَّكُم مَّـٰكِثُونَ
43:77 और (जहन्नुमी) पुकारेगें कि ऐ मालिक (दरोग़ा ए जहन्नुम कोई तरकीब करो) तुम्हारा परवरदिगार हमें मौत ही दे दे वह जवाब देगा कि तुमको इसी हाल में रहना है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

43:78 لَقَدْ جِئْنَـٰكُم بِٱلْحَقِّ وَلَـٰكِنَّ أَكْثَرَكُمْ لِلْحَقِّ كَـٰرِهُونَ
43:78 (ऐ कुफ्फ़ार मक्का) हम तो तुम्हारे पास हक़ लेकर आयें हैं तुम मे से बहुत से हक़ (बात से चिढ़ते) हैं - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

43:79 أَمْ أَبْرَمُوٓا۟ أَمْرًا فَإِنَّا مُبْرِمُونَ
43:79 क्या उन लोगों ने कोई बात ठान ली है हमने भी (कुछ ठान लिया है) - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

43:80 أَمْ يَحْسَبُونَ أَنَّا لَا نَسْمَعُ سِرَّهُمْ وَنَجْوَىٰهُم ۚ بَلَىٰ وَرُسُلُنَا لَدَيْهِمْ يَكْتُبُونَ
43:80 क्या ये लोग कुछ समझते हैं कि हम उनके भेद और उनकी सरग़ोशियों को नहीं सुनते हॉ (ज़रूर सुनते हैं) और हमारे फ़रिश्ते उनके पास हैं और उनकी सब बातें लिखते जाते हैं - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

43:81 قُلْ إِن كَانَ لِلرَّحْمَـٰنِ وَلَدٌ فَأَنَا۠ أَوَّلُ ٱلْعَـٰبِدِينَ
43:81 (ऐ रसूल) तुम कह दो कि अगर ख़ुदा की कोई औलाद होती तो मैं सबसे पहले उसकी इबादत को तैयार हूँ - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

43:82 سُبْحَـٰنَ رَبِّ ٱلسَّمَـٰوَٰتِ وَٱلْأَرْضِ رَبِّ ٱلْعَرْشِ عَمَّا يَصِفُونَ
43:82 ये लोग जो कुछ बयान करते हैं सारे आसमान व ज़मीन का मालिक अर्श का मालिक (ख़ुदा) उससे पाक व पाक़ीज़ा है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

43:83 فَذَرْهُمْ يَخُوضُوا۟ وَيَلْعَبُوا۟ حَتَّىٰ يُلَـٰقُوا۟ يَوْمَهُمُ ٱلَّذِى يُوعَدُونَ
43:83 तो तुम उन्हें छोड़ दो कि पड़े बक बक करते और खेलते रहते हैं यहाँ तक कि जिस दिन का उनसे वायदा किया जाता है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

43:84 وَهُوَ ٱلَّذِى فِى ٱلسَّمَآءِ إِلَـٰهٌ وَفِى ٱلْأَرْضِ إِلَـٰهٌ ۚ وَهُوَ ٱلْحَكِيمُ ٱلْعَلِيمُ
43:84 उनके सामने आ मौजूद हो और आसमान में भी (उसी की इबादत की जाती है और वही ज़मीन में भी माबूद है और वही वाकिफ़कार हिकमत वाला है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

43:85 وَتَبَارَكَ ٱلَّذِى لَهُۥ مُلْكُ ٱلسَّمَـٰوَٰتِ وَٱلْأَرْضِ وَمَا بَيْنَهُمَا وَعِندَهُۥ عِلْمُ ٱلسَّاعَةِ وَإِلَيْهِ تُرْجَعُونَ
43:85 और वही बहुत बाबरकत है जिसके लिए सारे आसमान व ज़मीन और दोनों के दरमियान की हुक़ुमत है और क़यामत की ख़बर भी उसी को है और तुम लोग उसकी तरफ लौटाए जाओगे - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

43:86 وَلَا يَمْلِكُ ٱلَّذِينَ يَدْعُونَ مِن دُونِهِ ٱلشَّفَـٰعَةَ إِلَّا مَن شَهِدَ بِٱلْحَقِّ وَهُمْ يَعْلَمُونَ
43:86 और ख़ुदा के सिवा जिनकी ये लोग इबादत करतें हैं वह तो सिफारिश का भी एख्तेयार नहीं रख़ते मगर (हॉ) जो लोग समझ बूझ कर हक़ बात (तौहीद) की गवाही दें (तो खैर) - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

43:87 وَلَئِن سَأَلْتَهُم مَّنْ خَلَقَهُمْ لَيَقُولُنَّ ٱللَّهُ ۖ فَأَنَّىٰ يُؤْفَكُونَ
43:87 और अगर तुम उनसे पूछोगे कि उनको किसने पैदा किया तो ज़रूर कह देगें कि अल्लाह ने फिर (बावजूद इसके) ये कहाँ बहके जा रहे हैं - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

43:88 وَقِيلِهِۦ يَـٰرَبِّ إِنَّ هَـٰٓؤُلَآءِ قَوْمٌ لَّا يُؤْمِنُونَ
43:88 और (उसी को) रसूल के उस क़ौल का भी इल्म है कि परवरदिगार ये लोग हरगिज़ ईमान न लाएँगे - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

43:89 فَٱصْفَحْ عَنْهُمْ وَقُلْ سَلَـٰمٌ ۚ فَسَوْفَ يَعْلَمُونَ
43:89 तो तुम उनसे मुँह फेर लो और कह दो कि तुम को सलाम तो उन्हें अनक़रीब ही (शरारत का नतीजा) मालूम हो जाएगा - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)