Selected

Original Text
Farooq Khan and Ahmed

Available Translations

46 Al-'Aĥqāf ٱلْأَحْقَاف

< Previous   35 Āyah   The Wind-Curved Sandhills      Next >  

بِسْمِ اللَّهِ الرَّحْمَٰنِ الرَّحِيمِ
In the name of Allah, Most Gracious, Most Merciful.

46:15 وَوَصَّيْنَا ٱلْإِنسَـٰنَ بِوَٰلِدَيْهِ إِحْسَـٰنًا ۖ حَمَلَتْهُ أُمُّهُۥ كُرْهًا وَوَضَعَتْهُ كُرْهًا ۖ وَحَمْلُهُۥ وَفِصَـٰلُهُۥ ثَلَـٰثُونَ شَهْرًا ۚ حَتَّىٰٓ إِذَا بَلَغَ أَشُدَّهُۥ وَبَلَغَ أَرْبَعِينَ سَنَةً قَالَ رَبِّ أَوْزِعْنِىٓ أَنْ أَشْكُرَ نِعْمَتَكَ ٱلَّتِىٓ أَنْعَمْتَ عَلَىَّ وَعَلَىٰ وَٰلِدَىَّ وَأَنْ أَعْمَلَ صَـٰلِحًا تَرْضَىٰهُ وَأَصْلِحْ لِى فِى ذُرِّيَّتِىٓ ۖ إِنِّى تُبْتُ إِلَيْكَ وَإِنِّى مِنَ ٱلْمُسْلِمِينَ
46:15 हमने मनुष्य को अपने माँ-बाप के साथ अच्छा व्यवहार करने की ताकीद की। उसकी माँ ने उसे (पेट में) तकलीफ़ के साथ उठाए रखा और उसे जना भी तकलीफ़ के साथ। और उसके गर्भ की अवस्था में रहने और दूध छुड़ाने की अवधि तीस माह है, यहाँ तक कि जब वह अपनी पूरी शक्ति को पहुँचा और चालीस वर्ष का हुआ तो उसने कहा, "ऐ मेरे रब! मुझे सम्भाल कि मैं तेरी उस अनुकम्पा के प्रति कृतज्ञता दिखाऊँ, जो तुने मुझपर और मेरे माँ-बाप पर की है। और यह कि मैं ऐसा अच्छा कर्म करूँ जो तुझे प्रिय हो और मेरे लिए मेरी संतति में भलाई रख दे। मैं तेरे आगे तौबा करता हूँ औऱ मैं मुस्लिम (आज्ञाकारी) हूँ।" - Farooq Khan and Ahmed (Hindi)