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Original Text
Suhel Khan and Saifur Nadwi
Abdullah Yusuf Ali
Abdul Majid Daryabadi
Abul Ala Maududi
Ahmed Ali
Ahmed Raza Khan
A. J. Arberry
Ali Quli Qarai
Hasan al-Fatih Qaribullah and Ahmad Darwish
Mohammad Habib Shakir
Mohammed Marmaduke William Pickthall
Muhammad Sarwar
Muhammad Taqi-ud-Din al-Hilali and Muhammad Muhsin Khan
Safi-ur-Rahman al-Mubarakpuri
Saheeh International
Talal Itani
Transliteration
Wahiduddin Khan
بِسْمِ اللَّهِ الرَّحْمَٰنِ الرَّحِيمِ
In the name of Allah, Most Gracious, Most Merciful.
51:1
وَٱلذَّٰرِيَـٰتِ ذَرْوًا
51:1
उन (हवाओं की क़सम) जो (बादलों को) उड़ा कर तितर बितर कर देती हैं - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
51:2
فَٱلْحَـٰمِلَـٰتِ وِقْرًا
51:2
फिर (पानी का) बोझ उठाती हैं - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
51:3
فَٱلْجَـٰرِيَـٰتِ يُسْرًا
51:3
फिर आहिस्ता आहिस्ता चलती हैं - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
51:4
فَٱلْمُقَسِّمَـٰتِ أَمْرًا
51:4
फिर एक ज़रूरी चीज़ (बारिश) को तक़सीम करती हैं - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
51:5
إِنَّمَا تُوعَدُونَ لَصَادِقٌ
51:5
कि तुम से जो वायदा किया जाता है ज़रूर बिल्कुल सच्चा है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
51:6
وَإِنَّ ٱلدِّينَ لَوَٰقِعٌ
51:6
और (आमाल की) जज़ा (सज़ा) ज़रूर होगी - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
51:7
وَٱلسَّمَآءِ ذَاتِ ٱلْحُبُكِ
51:7
और आसमान की क़सम जिसमें रहते हैं - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
51:8
إِنَّكُمْ لَفِى قَوْلٍ مُّخْتَلِفٍ
51:8
कि (ऐ अहले मक्का) तुम लोग एक ऐसी मुख्तलिफ़ बेजोड़ बात में पड़े हो - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
51:9
يُؤْفَكُ عَنْهُ مَنْ أُفِكَ
51:9
कि उससे वही फेरा जाएगा (गुमराह होगा) - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
51:10
قُتِلَ ٱلْخَرَّٰصُونَ
51:10
जो (ख़ुदा के इल्म में) फेरा जा चुका है अटकल दौड़ाने वाले हलाक हों - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
51:11
ٱلَّذِينَ هُمْ فِى غَمْرَةٍ سَاهُونَ
51:11
जो ग़फलत में भूले हुए (पड़े) हैं पूछते हैं कि जज़ा का दिन कब होगा - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
51:12
يَسْـَٔلُونَ أَيَّانَ يَوْمُ ٱلدِّينِ
51:12
उस दिन (होगा) - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
51:13
يَوْمَ هُمْ عَلَى ٱلنَّارِ يُفْتَنُونَ
51:13
जब इनको (जहन्नुम की) आग में अज़ाब दिया जाएगा - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
51:14
ذُوقُوا۟ فِتْنَتَكُمْ هَـٰذَا ٱلَّذِى كُنتُم بِهِۦ تَسْتَعْجِلُونَ
51:14
(और उनसे कहा जाएगा) अपने अज़ाब का मज़ा चखो ये वही है जिसकी तुम जल्दी मचाया करते थे - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
51:15
إِنَّ ٱلْمُتَّقِينَ فِى جَنَّـٰتٍ وَعُيُونٍ
51:15
बेशक परहेज़गार लोग (बेहिश्त के) बाग़ों और चश्मों में (ऐश करते) होगें - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
51:16
ءَاخِذِينَ مَآ ءَاتَىٰهُمْ رَبُّهُمْ ۚ إِنَّهُمْ كَانُوا۟ قَبْلَ ذَٰلِكَ مُحْسِنِينَ
51:16
जो उनका परवरदिगार उन्हें अता करता है ये (ख़ुश ख़ुश) ले रहे हैं ये लोग इससे पहले (दुनिया में) नेको कार थे - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
51:17
كَانُوا۟ قَلِيلًا مِّنَ ٱلَّيْلِ مَا يَهْجَعُونَ
51:17
(इबादत की वजह से) रात को बहुत ही कम सोते थे - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
51:18
وَبِٱلْأَسْحَارِ هُمْ يَسْتَغْفِرُونَ
51:18
और पिछले पहर को अपनी मग़फ़िरत की दुआएं करते थे - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
51:19
وَفِىٓ أَمْوَٰلِهِمْ حَقٌّ لِّلسَّآئِلِ وَٱلْمَحْرُومِ
51:19
और उनके माल में माँगने वाले और न माँगने वाले (दोनों) का हिस्सा था - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
51:20
وَفِى ٱلْأَرْضِ ءَايَـٰتٌ لِّلْمُوقِنِينَ
51:20
और यक़ीन करने वालों के लिए ज़मीन में (क़ुदरते ख़ुदा की) बहुत सी निशानियाँ हैं - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
51:21
وَفِىٓ أَنفُسِكُمْ ۚ أَفَلَا تُبْصِرُونَ
51:21
और ख़ुदा तुम में भी हैं तो क्या तुम देखते नहीं - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
51:22
وَفِى ٱلسَّمَآءِ رِزْقُكُمْ وَمَا تُوعَدُونَ
51:22
और तुम्हारी रोज़ी और जिस चीज़ का तुमसे वायदा किया जाता है आसमान में है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
51:23
فَوَرَبِّ ٱلسَّمَآءِ وَٱلْأَرْضِ إِنَّهُۥ لَحَقٌّ مِّثْلَ مَآ أَنَّكُمْ تَنطِقُونَ
51:23
तो आसमान व ज़मीन के मालिक की क़सम ये (क़ुरान) बिल्कुल ठीक है जिस तरह तुम बातें करते हो - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
51:24
هَلْ أَتَىٰكَ حَدِيثُ ضَيْفِ إِبْرَٰهِيمَ ٱلْمُكْرَمِينَ
51:24
क्या तुम्हारे पास इबराहीम के मुअज़िज़ मेहमानो (फ़रिश्तों) की भी ख़बर पहुँची है कि जब वह लोग उनके पास आए - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
51:25
إِذْ دَخَلُوا۟ عَلَيْهِ فَقَالُوا۟ سَلَـٰمًا ۖ قَالَ سَلَـٰمٌ قَوْمٌ مُّنكَرُونَ
51:25
तो कहने लगे (सलामुन अलैकुम) तो इबराहीम ने भी (अलैकुम) सलाम किया (देखा तो) ऐसे लोग जिनसे न जान न पहचान - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
51:26
فَرَاغَ إِلَىٰٓ أَهْلِهِۦ فَجَآءَ بِعِجْلٍ سَمِينٍ
51:26
फिर अपने घर जाकर जल्दी से (भुना हुआ) एक मोटा ताज़ा बछड़ा ले आए - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
51:27
فَقَرَّبَهُۥٓ إِلَيْهِمْ قَالَ أَلَا تَأْكُلُونَ
51:27
और उसे उनके आगे रख दिया (फिर) कहने लगे आप लोग तनाउल क्यों नहीं करते - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
51:28
فَأَوْجَسَ مِنْهُمْ خِيفَةً ۖ قَالُوا۟ لَا تَخَفْ ۖ وَبَشَّرُوهُ بِغُلَـٰمٍ عَلِيمٍ
51:28
(इस पर भी न खाया) तो इबराहीम उनसे जो ही जी में डरे वह लोग बोले आप अन्देशा न करें और उनको एक दानिशमन्द लड़के की ख़ुशख़बरी दी - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
51:29
فَأَقْبَلَتِ ٱمْرَأَتُهُۥ فِى صَرَّةٍ فَصَكَّتْ وَجْهَهَا وَقَالَتْ عَجُوزٌ عَقِيمٌ
51:29
तो (ये सुनते ही) इबराहीम की बीवी (सारा) चिल्लाती हुई उनके सामने आयीं और अपना मुँह पीट लिया कहने लगीं (ऐ है) एक तो (मैं) बुढ़िया (उस पर) बांझ - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
51:30
قَالُوا۟ كَذَٰلِكِ قَالَ رَبُّكِ ۖ إِنَّهُۥ هُوَ ٱلْحَكِيمُ ٱلْعَلِيمُ
51:30
लड़का क्यों कर होगा फ़रिश्ते बोले तुम्हारे परवरदिगार ने यूँ ही फरमाया है वह बेशक हिकमत वाला वाक़िफ़कार है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
51:31
۞ قَالَ فَمَا خَطْبُكُمْ أَيُّهَا ٱلْمُرْسَلُونَ
51:31
तब इबराहीम ने पूछा कि (ऐ ख़ुदा के) भेजे हुए फरिश्तों आख़िर तुम्हें क्या मुहिम दर पेश है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
51:32
قَالُوٓا۟ إِنَّآ أُرْسِلْنَآ إِلَىٰ قَوْمٍ مُّجْرِمِينَ
51:32
वह बोले हम तो गुनाहगारों (क़ौमे लूत) की तरफ भेजे गए हैं - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
51:33
لِنُرْسِلَ عَلَيْهِمْ حِجَارَةً مِّن طِينٍ
51:33
ताकि उन पर मिटटी के पथरीले खरन्जे बरसाएँ - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
51:34
مُّسَوَّمَةً عِندَ رَبِّكَ لِلْمُسْرِفِينَ
51:34
जिन पर हद से बढ़ जाने वालों के लिए तुम्हारे परवरदिगार की तरफ से निशान लगा दिए गए हैं - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
51:35
فَأَخْرَجْنَا مَن كَانَ فِيهَا مِنَ ٱلْمُؤْمِنِينَ
51:35
ग़रज़ वहाँ जितने लोग मोमिनीन थे उनको हमने निकाल दिया - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
51:36
فَمَا وَجَدْنَا فِيهَا غَيْرَ بَيْتٍ مِّنَ ٱلْمُسْلِمِينَ
51:36
और वहाँ तो हमने एक के सिवा मुसलमानों का कोई घर पाया भी नहीं - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
51:37
وَتَرَكْنَا فِيهَآ ءَايَةً لِّلَّذِينَ يَخَافُونَ ٱلْعَذَابَ ٱلْأَلِيمَ
51:37
और जो लोग दर्दनाक अज़ाब से डरते हैं उनके लिए वहाँ (इबरत की) निशानी छोड़ दी और मूसा (के हाल) में भी (निशानी है) - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
51:38
وَفِى مُوسَىٰٓ إِذْ أَرْسَلْنَـٰهُ إِلَىٰ فِرْعَوْنَ بِسُلْطَـٰنٍ مُّبِينٍ
51:38
जब हमने उनको फिरऔन के पास खुला हुआ मौजिज़ा देकर भेजा - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
51:39
فَتَوَلَّىٰ بِرُكْنِهِۦ وَقَالَ سَـٰحِرٌ أَوْ مَجْنُونٌ
51:39
तो उसने अपने लशकर के बिरते पर मुँह मोड़ लिया और कहने लगा ये तो (अच्छा ख़ासा) जादूगर या सौदाई है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
51:40
فَأَخَذْنَـٰهُ وَجُنُودَهُۥ فَنَبَذْنَـٰهُمْ فِى ٱلْيَمِّ وَهُوَ مُلِيمٌ
51:40
तो हमने उसको और उसके लशकर को ले डाला फिर उन सबको दरिया में पटक दिया - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
51:41
وَفِى عَادٍ إِذْ أَرْسَلْنَا عَلَيْهِمُ ٱلرِّيحَ ٱلْعَقِيمَ
51:41
और वह तो क़ाबिले मलामत काम करता ही था और आद की क़ौम (के हाल) में भी निशानी है हमने उन पर एक बे बरकत ऑंधी चलायी - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
51:42
مَا تَذَرُ مِن شَىْءٍ أَتَتْ عَلَيْهِ إِلَّا جَعَلَتْهُ كَٱلرَّمِيمِ
51:42
कि जिस चीज़ पर चलती उसको बोसीदा हडडी की तरह रेज़ा रेज़ा किए बग़ैर न छोड़ती - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
51:43
وَفِى ثَمُودَ إِذْ قِيلَ لَهُمْ تَمَتَّعُوا۟ حَتَّىٰ حِينٍ
51:43
और समूद (के हाल) में भी (क़ुदरत की निशानी) है जब उससे कहा गया कि एक ख़ास वक्त तक ख़ूब चैन कर लो - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
51:44
فَعَتَوْا۟ عَنْ أَمْرِ رَبِّهِمْ فَأَخَذَتْهُمُ ٱلصَّـٰعِقَةُ وَهُمْ يَنظُرُونَ
51:44
तो उन्होने अपने परवरदिगार के हुक्म से सरकशी की तो उन्हें एक रोज़ कड़क और बिजली ने ले डाला और देखते ही रह गए - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
51:45
فَمَا ٱسْتَطَـٰعُوا۟ مِن قِيَامٍ وَمَا كَانُوا۟ مُنتَصِرِينَ
51:45
फिर न वह उठने की ताक़त रखते थे और न बदला ही ले सकते थे - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
51:46
وَقَوْمَ نُوحٍ مِّن قَبْلُ ۖ إِنَّهُمْ كَانُوا۟ قَوْمًا فَـٰسِقِينَ
51:46
और (उनसे) पहले (हम) नूह की क़ौम को (हलाक कर चुके थे) बेशक वह बदकार लोग थे - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
51:47
وَٱلسَّمَآءَ بَنَيْنَـٰهَا بِأَيْي۟دٍ وَإِنَّا لَمُوسِعُونَ
51:47
और हमने आसमानों को अपने बल बूते से बनाया और बेशक हममें सब क़ुदरत है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
51:48
وَٱلْأَرْضَ فَرَشْنَـٰهَا فَنِعْمَ ٱلْمَـٰهِدُونَ
51:48
और ज़मीन को भी हम ही ने बिछाया तो हम कैसे अच्छे बिछाने वाले हैं - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
51:49
وَمِن كُلِّ شَىْءٍ خَلَقْنَا زَوْجَيْنِ لَعَلَّكُمْ تَذَكَّرُونَ
51:49
और हम ही ने हर चीज़ की दो दो क़िस्में बनायीं ताकि तुम लोग नसीहत हासिल करो - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
51:50
فَفِرُّوٓا۟ إِلَى ٱللَّهِ ۖ إِنِّى لَكُم مِّنْهُ نَذِيرٌ مُّبِينٌ
51:50
तो ख़ुदा ही की तरफ़ भागो मैं तुमको यक़ीनन उसकी तरफ से खुल्लम खुल्ला डराने वाला हूँ - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
51:51
وَلَا تَجْعَلُوا۟ مَعَ ٱللَّهِ إِلَـٰهًا ءَاخَرَ ۖ إِنِّى لَكُم مِّنْهُ نَذِيرٌ مُّبِينٌ
51:51
और ख़ुदा के साथ दूसरा माबूद न बनाओ मैं तुमको यक़ीनन उसकी तरफ से खुल्लम खुल्ला डराने वाला हूँ - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
51:52
كَذَٰلِكَ مَآ أَتَى ٱلَّذِينَ مِن قَبْلِهِم مِّن رَّسُولٍ إِلَّا قَالُوا۟ سَاحِرٌ أَوْ مَجْنُونٌ
51:52
इसी तरह उनसे पहले लोगों के पास जो पैग़म्बर आता तो वह उसको जादूगर कहते या सिड़ी दीवाना (बताते) - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
51:53
أَتَوَاصَوْا۟ بِهِۦ ۚ بَلْ هُمْ قَوْمٌ طَاغُونَ
51:53
ये लोग एक दूसरे को ऐसी बात की वसीयत करते आते हैं (नहीं) बल्कि ये लोग हैं ही सरकश - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
51:54
فَتَوَلَّ عَنْهُمْ فَمَآ أَنتَ بِمَلُومٍ
51:54
तो (ऐ रसूल) तुम इनसे मुँह फेर लो तुम पर तो कुछ इल्ज़ाम नहीं है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
51:55
وَذَكِّرْ فَإِنَّ ٱلذِّكْرَىٰ تَنفَعُ ٱلْمُؤْمِنِينَ
51:55
और नसीहत किए जाओ क्योंकि नसीहत मोमिनीन को फायदा देती है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
51:56
وَمَا خَلَقْتُ ٱلْجِنَّ وَٱلْإِنسَ إِلَّا لِيَعْبُدُونِ
51:56
और मैने जिनों और आदमियों को इसी ग़रज़ से पैदा किया कि वह मेरी इबादत करें - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
51:57
مَآ أُرِيدُ مِنْهُم مِّن رِّزْقٍ وَمَآ أُرِيدُ أَن يُطْعِمُونِ
51:57
न तो मैं उनसे रोज़ी का तालिब हूँ और न ये चाहता हूँ कि मुझे खाना खिलाएँ - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
51:58
إِنَّ ٱللَّهَ هُوَ ٱلرَّزَّاقُ ذُو ٱلْقُوَّةِ ٱلْمَتِينُ
51:58
ख़ुदा ख़ुद बड़ा रोज़ी देने वाला ज़ोरावर (और) ज़बरदस्त है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
51:59
فَإِنَّ لِلَّذِينَ ظَلَمُوا۟ ذَنُوبًا مِّثْلَ ذَنُوبِ أَصْحَـٰبِهِمْ فَلَا يَسْتَعْجِلُونِ
51:59
तो (इन) ज़ालिमों के वास्ते भी अज़ाब का कुछ हिस्सा है जिस तरह उनके साथियों के लिए हिस्सा था तो इनको हम से जल्दी न करनी चाहिए - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)
51:60
فَوَيْلٌ لِّلَّذِينَ كَفَرُوا۟ مِن يَوْمِهِمُ ٱلَّذِى يُوعَدُونَ
51:60
तो जिस दिन का इन काफ़िरों से वायदा किया जाता है इससे इनके लिए ख़राबी है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)