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Suhel Khan and Saifur Nadwi

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68 Al-Qalam ٱلْقَلَم

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بِسْمِ اللَّهِ الرَّحْمَٰنِ الرَّحِيمِ
In the name of Allah, Most Gracious, Most Merciful.

68:1 نٓ ۚ وَٱلْقَلَمِ وَمَا يَسْطُرُونَ
68:1 नून क़लम की और उस चीज़ की जो लिखती हैं (उसकी) क़सम है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

68:2 مَآ أَنتَ بِنِعْمَةِ رَبِّكَ بِمَجْنُونٍ
68:2 कि तुम अपने परवरदिगार के फ़ज़ल (व करम) से दीवाने नहीं हो - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

68:3 وَإِنَّ لَكَ لَأَجْرًا غَيْرَ مَمْنُونٍ
68:3 और तुम्हारे वास्ते यक़ीनन वह अज्र है जो कभी ख़त्म ही न होगा - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

68:4 وَإِنَّكَ لَعَلَىٰ خُلُقٍ عَظِيمٍ
68:4 और बेशक तुम्हारे एख़लाक़ बड़े आला दर्जे के हैं - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

68:5 فَسَتُبْصِرُ وَيُبْصِرُونَ
68:5 तो अनक़रीब ही तुम भी देखोगे और ये कुफ्फ़ार भी देख लेंगे - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

68:6 بِأَييِّكُمُ ٱلْمَفْتُونُ
68:6 कि तुममें दीवाना कौन है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

68:7 إِنَّ رَبَّكَ هُوَ أَعْلَمُ بِمَن ضَلَّ عَن سَبِيلِهِۦ وَهُوَ أَعْلَمُ بِٱلْمُهْتَدِينَ
68:7 बेशक तुम्हारा परवरदिगार इनसे ख़ूब वाक़िफ़ है जो उसकी राह से भटके हुए हैं और वही हिदायत याफ्ता लोगों को भी ख़ूब जानता है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

68:8 فَلَا تُطِعِ ٱلْمُكَذِّبِينَ
68:8 तो तुम झुठलाने वालों का कहना न मानना - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

68:9 وَدُّوا۟ لَوْ تُدْهِنُ فَيُدْهِنُونَ
68:9 वह लोग ये चाहते हैं कि अगर तुम नरमी एख्तेयार करो तो वह भी नरम हो जाएँ - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

68:10 وَلَا تُطِعْ كُلَّ حَلَّافٍ مَّهِينٍ
68:10 और तुम (कहीं) ऐसे के कहने में न आना जो बहुत क़समें खाता ज़लील औक़ात ऐबजू - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

68:11 هَمَّازٍ مَّشَّآءٍۭ بِنَمِيمٍ
68:11 जो आला दर्जे का चुग़लख़ोर माल का बहुत बख़ील - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

68:12 مَّنَّاعٍ لِّلْخَيْرِ مُعْتَدٍ أَثِيمٍ
68:12 हद से बढ़ने वाला गुनेहगार तुन्द मिजाज़ - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

68:13 عُتُلٍّۭ بَعْدَ ذَٰلِكَ زَنِيمٍ
68:13 और उसके अलावा बदज़ात (हरमज़ादा) भी है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

68:14 أَن كَانَ ذَا مَالٍ وَبَنِينَ
68:14 चूँकि माल बहुत से बेटे रखता है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

68:15 إِذَا تُتْلَىٰ عَلَيْهِ ءَايَـٰتُنَا قَالَ أَسَـٰطِيرُ ٱلْأَوَّلِينَ
68:15 जब उसके सामने हमारी आयतें पढ़ी जाती हैं तो बोल उठता है कि ये तो अगलों के अफ़साने हैं - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

68:16 سَنَسِمُهُۥ عَلَى ٱلْخُرْطُومِ
68:16 हम अनक़रीब इसकी नाक पर दाग़ लगाएँगे - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

68:17 إِنَّا بَلَوْنَـٰهُمْ كَمَا بَلَوْنَآ أَصْحَـٰبَ ٱلْجَنَّةِ إِذْ أَقْسَمُوا۟ لَيَصْرِمُنَّهَا مُصْبِحِينَ
68:17 जिस तरह हमने एक बाग़ वालों का इम्तेहान लिया था उसी तरह उनका इम्तेहान लिया जब उन्होने क़समें खा खाकर कहा कि सुबह होते हम उसका मेवा ज़रूर तोड़ डालेंगे - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

68:18 وَلَا يَسْتَثْنُونَ
68:18 और इन्शाअल्लाह न कहा - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

68:19 فَطَافَ عَلَيْهَا طَآئِفٌ مِّن رَّبِّكَ وَهُمْ نَآئِمُونَ
68:19 तो ये लोग पड़े सो ही रहे थे कि तुम्हारे परवरदिगार की तरफ से (रातों रात) एक बला चक्कर लगा गयी - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

68:20 فَأَصْبَحَتْ كَٱلصَّرِيمِ
68:20 तो वह (सारा बाग़ जलकर) ऐसा हो गया जैसे बहुत काली रात - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

68:21 فَتَنَادَوْا۟ مُصْبِحِينَ
68:21 फिर ये लोग नूर के तड़के लगे बाहम गुल मचाने - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

68:22 أَنِ ٱغْدُوا۟ عَلَىٰ حَرْثِكُمْ إِن كُنتُمْ صَـٰرِمِينَ
68:22 कि अगर तुमको फल तोड़ना है तो अपने बाग़ में सवेरे से चलो - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

68:23 فَٱنطَلَقُوا۟ وَهُمْ يَتَخَـٰفَتُونَ
68:23 ग़रज़ वह लोग चले और आपस में चुपके चुपके कहते जाते थे - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

68:24 أَن لَّا يَدْخُلَنَّهَا ٱلْيَوْمَ عَلَيْكُم مِّسْكِينٌ
68:24 कि आज यहाँ तुम्हारे पास कोई फ़क़ीर न आने पाए - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

68:25 وَغَدَوْا۟ عَلَىٰ حَرْدٍ قَـٰدِرِينَ
68:25 तो वह लोग रोक थाम के एहतमाम के साथ फल तोड़ने की ठाने हुए सवेरे ही जा पहुँचे - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

68:26 فَلَمَّا رَأَوْهَا قَالُوٓا۟ إِنَّا لَضَآلُّونَ
68:26 फिर जब उसे (जला हुआ सियाह) देखा तो कहने लगे हम लोग भटक गए - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

68:27 بَلْ نَحْنُ مَحْرُومُونَ
68:27 (ये हमारा बाग़ नहीं फिर ये सोचकर बोले) बात ये है कि हम लोग बड़े बदनसीब हैं - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

68:28 قَالَ أَوْسَطُهُمْ أَلَمْ أَقُل لَّكُمْ لَوْلَا تُسَبِّحُونَ
68:28 जो उनमें से मुनसिफ़ मिजाज़ था कहने लगा क्यों मैंने तुमसे नहीं कहा था कि तुम लोग (ख़ुदा की) तसबीह क्यों नहीं करते - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

68:29 قَالُوا۟ سُبْحَـٰنَ رَبِّنَآ إِنَّا كُنَّا ظَـٰلِمِينَ
68:29 वह बोले हमारा परवरदिगार पाक है बेशक हमीं ही कुसूरवार हैं - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

68:30 فَأَقْبَلَ بَعْضُهُمْ عَلَىٰ بَعْضٍ يَتَلَـٰوَمُونَ
68:30 फिर लगे एक दूसरे के मुँह दर मुँह मलामत करने - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

68:31 قَالُوا۟ يَـٰوَيْلَنَآ إِنَّا كُنَّا طَـٰغِينَ
68:31 (आख़िर) सबने इक़रार किया कि हाए अफसोस बेशक हम ही ख़ुद सरकश थे - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

68:32 عَسَىٰ رَبُّنَآ أَن يُبْدِلَنَا خَيْرًا مِّنْهَآ إِنَّآ إِلَىٰ رَبِّنَا رَٰغِبُونَ
68:32 उम्मीद है कि हमारा परवरदिगार हमें इससे बेहतर बाग़ इनायत फ़रमाए हम अपने परवरदिगार की तरफ रूजू करते हैं - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

68:33 كَذَٰلِكَ ٱلْعَذَابُ ۖ وَلَعَذَابُ ٱلْـَٔاخِرَةِ أَكْبَرُ ۚ لَوْ كَانُوا۟ يَعْلَمُونَ
68:33 (देखो) यूँ अज़ाब होता है और आख़ेरत का अज़ाब तो इससे कहीं बढ़ कर है अगर ये लोग समझते हों - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

68:34 إِنَّ لِلْمُتَّقِينَ عِندَ رَبِّهِمْ جَنَّـٰتِ ٱلنَّعِيمِ
68:34 बेशक परहेज़गार लोग अपने परवरदिगार के यहाँ ऐशो आराम के बाग़ों में होंगे - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

68:35 أَفَنَجْعَلُ ٱلْمُسْلِمِينَ كَٱلْمُجْرِمِينَ
68:35 तो क्या हम फरमाबरदारों को नाफ़रमानो के बराबर कर देंगे - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

68:36 مَا لَكُمْ كَيْفَ تَحْكُمُونَ
68:36 (हरगिज़ नहीं) तुम्हें क्या हो गया है तुम तुम कैसा हुक्म लगाते हो - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

68:37 أَمْ لَكُمْ كِتَـٰبٌ فِيهِ تَدْرُسُونَ
68:37 या तुम्हारे पास कोई ईमानी किताब है जिसमें तुम पढ़ लेते हो - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

68:38 إِنَّ لَكُمْ فِيهِ لَمَا تَخَيَّرُونَ
68:38 कि जो चीज़ पसन्द करोगे तुम को वहाँ ज़रूर मिलेगी - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

68:39 أَمْ لَكُمْ أَيْمَـٰنٌ عَلَيْنَا بَـٰلِغَةٌ إِلَىٰ يَوْمِ ٱلْقِيَـٰمَةِ ۙ إِنَّ لَكُمْ لَمَا تَحْكُمُونَ
68:39 या तुमने हमसे क़समें ले रखी हैं जो रोज़े क़यामत तक चली जाएगी कि जो कुछ तुम हुक्म दोगे वही तुम्हारे लिए ज़रूर हाज़िर होगा - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

68:40 سَلْهُمْ أَيُّهُم بِذَٰلِكَ زَعِيمٌ
68:40 उनसे पूछो तो कि उनमें इसका कौन ज़िम्मेदार है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

68:41 أَمْ لَهُمْ شُرَكَآءُ فَلْيَأْتُوا۟ بِشُرَكَآئِهِمْ إِن كَانُوا۟ صَـٰدِقِينَ
68:41 या (इस बाब में) उनके और लोग भी शरीक हैं तो अगर ये लोग सच्चे हैं तो अपने शरीकों को सामने लाएँ - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

68:42 يَوْمَ يُكْشَفُ عَن سَاقٍ وَيُدْعَوْنَ إِلَى ٱلسُّجُودِ فَلَا يَسْتَطِيعُونَ
68:42 जिस दिन पिंडली खोल दी जाए और (काफ़िर) लोग सजदे के लिए बुलाए जाएँगे तो (सजदा) न कर सकेंगे - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

68:43 خَـٰشِعَةً أَبْصَـٰرُهُمْ تَرْهَقُهُمْ ذِلَّةٌ ۖ وَقَدْ كَانُوا۟ يُدْعَوْنَ إِلَى ٱلسُّجُودِ وَهُمْ سَـٰلِمُونَ
68:43 उनकी ऑंखें झुकी हुई होंगी रूसवाई उन पर छाई होगी और (दुनिया में) ये लोग सजदे के लिए बुलाए जाते और हटटे कटटे तन्दरूस्त थे - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

68:44 فَذَرْنِى وَمَن يُكَذِّبُ بِهَـٰذَا ٱلْحَدِيثِ ۖ سَنَسْتَدْرِجُهُم مِّنْ حَيْثُ لَا يَعْلَمُونَ
68:44 तो मुझे उस कलाम के झुठलाने वाले से समझ लेने दो हम उनको आहिस्ता आहिस्ता इस तरह पकड़ लेंगे कि उनको ख़बर भी न होगी - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

68:45 وَأُمْلِى لَهُمْ ۚ إِنَّ كَيْدِى مَتِينٌ
68:45 और मैं उनको मोहलत दिये जाता हूँ बेशक मेरी तदबीर मज़बूत है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

68:46 أَمْ تَسْـَٔلُهُمْ أَجْرًا فَهُم مِّن مَّغْرَمٍ مُّثْقَلُونَ
68:46 (ऐ रसूल) क्या तुम उनसे (तबलीग़े रिसालत का) कुछ सिला माँगते हो कि उन पर तावान का बोझ पड़ रहा है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

68:47 أَمْ عِندَهُمُ ٱلْغَيْبُ فَهُمْ يَكْتُبُونَ
68:47 या उनके इस ग़ैब (की ख़बर) है कि ये लोग लिख लिया करते हैं - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

68:48 فَٱصْبِرْ لِحُكْمِ رَبِّكَ وَلَا تَكُن كَصَاحِبِ ٱلْحُوتِ إِذْ نَادَىٰ وَهُوَ مَكْظُومٌ
68:48 तो तुम अपने परवरदिगार के हुक्म के इन्तेज़ार में सब्र करो और मछली (का निवाला होने) वाले (यूनुस) के ऐसे न हो जाओ कि जब वह ग़ुस्से में भरे हुए थे और अपने परवरदिगार को पुकारा - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

68:49 لَّوْلَآ أَن تَدَٰرَكَهُۥ نِعْمَةٌ مِّن رَّبِّهِۦ لَنُبِذَ بِٱلْعَرَآءِ وَهُوَ مَذْمُومٌ
68:49 अगर तुम्हारे परवरदिगार की मेहरबानी उनकी यावरी न करती तो चटियल मैदान में डाल दिए जाते और उनका बुरा हाल होता - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

68:50 فَٱجْتَبَـٰهُ رَبُّهُۥ فَجَعَلَهُۥ مِنَ ٱلصَّـٰلِحِينَ
68:50 तो उनके परवरदिगार ने उनको बरगुज़ीदा करके नेकोकारों से बना दिया - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

68:51 وَإِن يَكَادُ ٱلَّذِينَ كَفَرُوا۟ لَيُزْلِقُونَكَ بِأَبْصَـٰرِهِمْ لَمَّا سَمِعُوا۟ ٱلذِّكْرَ وَيَقُولُونَ إِنَّهُۥ لَمَجْنُونٌ
68:51 और कुफ्फ़ार जब क़ुरान को सुनते हैं तो मालूम होता है कि ये लोग तुम्हें घूर घूर कर (राह रास्त से) ज़रूर फिसला देंगे - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

68:52 وَمَا هُوَ إِلَّا ذِكْرٌ لِّلْعَـٰلَمِينَ
68:52 और कहते हैं कि ये तो सिड़ी हैं और ये (क़ुरान) तो सारे जहाँन की नसीहत है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)