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Suhel Khan and Saifur Nadwi

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56 Al-Wāqi`ah ٱلْوَاقِعَة

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بِسْمِ اللَّهِ الرَّحْمَٰنِ الرَّحِيمِ
In the name of Allah, Most Gracious, Most Merciful.

56:1 إِذَا وَقَعَتِ ٱلْوَاقِعَةُ
56:1 जब क़यामत बरपा होगी और उसके वाक़िया होने में ज़रा झूट नहीं - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

56:2 لَيْسَ لِوَقْعَتِهَا كَاذِبَةٌ
56:2 (उस वक्त लोगों में फ़र्क ज़ाहिर होगा) - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

56:3 خَافِضَةٌ رَّافِعَةٌ
56:3 कि किसी को पस्त करेगी किसी को बुलन्द - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

56:4 إِذَا رُجَّتِ ٱلْأَرْضُ رَجًّا
56:4 जब ज़मीन बड़े ज़ोरों में हिलने लगेगी - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

56:5 وَبُسَّتِ ٱلْجِبَالُ بَسًّا
56:5 और पहाड़ (टकरा कर) बिल्कुल चूर चूर हो जाएँगे - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

56:6 فَكَانَتْ هَبَآءً مُّنۢبَثًّا
56:6 फिर ज़र्रे बन कर उड़ने लगेंगे - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

56:7 وَكُنتُمْ أَزْوَٰجًا ثَلَـٰثَةً
56:7 और तुम लोग तीन किस्म हो जाओगे - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

56:8 فَأَصْحَـٰبُ ٱلْمَيْمَنَةِ مَآ أَصْحَـٰبُ ٱلْمَيْمَنَةِ
56:8 तो दाहिने हाथ (में आमाल नामा लेने) वाले (वाह) दाहिने हाथ वाले क्या (चैन में) हैं - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

56:9 وَأَصْحَـٰبُ ٱلْمَشْـَٔمَةِ مَآ أَصْحَـٰبُ ٱلْمَشْـَٔمَةِ
56:9 और बाएं हाथ (में आमाल नामा लेने) वाले (अफ़सोस) बाएं हाथ वाले क्या (मुसीबत में) हैं - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

56:10 وَٱلسَّـٰبِقُونَ ٱلسَّـٰبِقُونَ
56:10 और जो आगे बढ़ जाने वाले हैं (वाह क्या कहना) वह आगे ही बढ़ने वाले थे - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

56:11 أُو۟لَـٰٓئِكَ ٱلْمُقَرَّبُونَ
56:11 यही लोग (ख़ुदा के) मुक़र्रिब हैं - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

56:12 فِى جَنَّـٰتِ ٱلنَّعِيمِ
56:12 आराम व आसाइश के बाग़ों में बहुत से - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

56:13 ثُلَّةٌ مِّنَ ٱلْأَوَّلِينَ
56:13 तो अगले लोगों में से होंगे - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

56:14 وَقَلِيلٌ مِّنَ ٱلْـَٔاخِرِينَ
56:14 और कुछ थोडे से पिछले लोगों में से मोती - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

56:15 عَلَىٰ سُرُرٍ مَّوْضُونَةٍ
56:15 और याक़ूत से जड़े हुए सोने के तारों से बने हुए - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

56:16 مُّتَّكِـِٔينَ عَلَيْهَا مُتَقَـٰبِلِينَ
56:16 तख्ते पर एक दूसरे के सामने तकिए लगाए (बैठे) होंगे - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

56:17 يَطُوفُ عَلَيْهِمْ وِلْدَٰنٌ مُّخَلَّدُونَ
56:17 नौजवान लड़के जो (बेहिश्त में) हमेशा (लड़के ही बने) रहेंगे - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

56:18 بِأَكْوَابٍ وَأَبَارِيقَ وَكَأْسٍ مِّن مَّعِينٍ
56:18 (शरबत वग़ैरह के) सागर और चमकदार टोंटीदार कंटर और शफ्फ़ाफ़ शराब के जाम लिए हुए उनके पास चक्कर लगाते होंगे - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

56:19 لَّا يُصَدَّعُونَ عَنْهَا وَلَا يُنزِفُونَ
56:19 जिसके (पीने) से न तो उनको (ख़ुमार से) दर्दसर होगा और न वह बदहवास मदहोश होंगे - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

56:20 وَفَـٰكِهَةٍ مِّمَّا يَتَخَيَّرُونَ
56:20 और जिस क़िस्म के मेवे पसन्द करें - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

56:21 وَلَحْمِ طَيْرٍ مِّمَّا يَشْتَهُونَ
56:21 और जिस क़िस्म के परिन्दे का गोश्त उनका जी चाहे (सब मौजूद है) - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

56:22 وَحُورٌ عِينٌ
56:22 और बड़ी बड़ी ऑंखों वाली हूरें - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

56:23 كَأَمْثَـٰلِ ٱللُّؤْلُؤِ ٱلْمَكْنُونِ
56:23 जैसे एहतेयात से रखे हुए मोती - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

56:24 جَزَآءًۢ بِمَا كَانُوا۟ يَعْمَلُونَ
56:24 ये बदला है उनके (नेक) आमाल का - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

56:25 لَا يَسْمَعُونَ فِيهَا لَغْوًا وَلَا تَأْثِيمًا
56:25 वहाँ न तो बेहूदा बात सुनेंगे और न गुनाह की बात - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

56:26 إِلَّا قِيلًا سَلَـٰمًا سَلَـٰمًا
56:26 (फहश) बस उनका कलाम सलाम ही सलाम होगा - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

56:27 وَأَصْحَـٰبُ ٱلْيَمِينِ مَآ أَصْحَـٰبُ ٱلْيَمِينِ
56:27 और दाहिने हाथ वाले (वाह) दाहिने हाथ वालों का क्या कहना है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

56:28 فِى سِدْرٍ مَّخْضُودٍ
56:28 बे काँटे की बेरो और लदे गुथे हुए - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

56:29 وَطَلْحٍ مَّنضُودٍ
56:29 केलों और लम्बी लम्बी छाँव - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

56:30 وَظِلٍّ مَّمْدُودٍ
56:30 और झरनो के पानी - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

56:31 وَمَآءٍ مَّسْكُوبٍ
56:31 और अनारों - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

56:32 وَفَـٰكِهَةٍ كَثِيرَةٍ
56:32 मेवो में होंगें - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

56:33 لَّا مَقْطُوعَةٍ وَلَا مَمْنُوعَةٍ
56:33 जो न कभी खत्म होंगे और न उनकी कोई रोक टोक - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

56:34 وَفُرُشٍ مَّرْفُوعَةٍ
56:34 और ऊँचे ऊँचे (नरम गद्दो के) फ़र्शों में (मज़े करते) होंगे - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

56:35 إِنَّآ أَنشَأْنَـٰهُنَّ إِنشَآءً
56:35 (उनको) वह हूरें मिलेंगी जिसको हमने नित नया पैदा किया है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

56:36 فَجَعَلْنَـٰهُنَّ أَبْكَارًا
56:36 तो हमने उन्हें कुँवारियाँ प्यारी प्यारी हमजोलियाँ बनाया - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

56:37 عُرُبًا أَتْرَابًا
56:37 (ये सब सामान) - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

56:38 لِّأَصْحَـٰبِ ٱلْيَمِينِ
56:38 दाहिने हाथ (में नामए आमाल लेने) वालों के वास्ते है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

56:39 ثُلَّةٌ مِّنَ ٱلْأَوَّلِينَ
56:39 (इनमें) बहुत से तो अगले लोगों में से - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

56:40 وَثُلَّةٌ مِّنَ ٱلْـَٔاخِرِينَ
56:40 और बहुत से पिछले लोगों में से - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

56:41 وَأَصْحَـٰبُ ٱلشِّمَالِ مَآ أَصْحَـٰبُ ٱلشِّمَالِ
56:41 और बाएं हाथ (में नामए आमाल लेने) वाले (अफसोस) बाएं हाथ वाले क्या (मुसीबत में) हैं - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

56:42 فِى سَمُومٍ وَحَمِيمٍ
56:42 (दोज़ख़ की) लौ और खौलते हुए पानी - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

56:43 وَظِلٍّ مِّن يَحْمُومٍ
56:43 और काले सियाह धुएँ के साये में होंगे - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

56:44 لَّا بَارِدٍ وَلَا كَرِيمٍ
56:44 जो न ठन्डा और न ख़ुश आइन्द - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

56:45 إِنَّهُمْ كَانُوا۟ قَبْلَ ذَٰلِكَ مُتْرَفِينَ
56:45 ये लोग इससे पहले (दुनिया में) ख़ूब ऐश उड़ा चुके थे - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

56:46 وَكَانُوا۟ يُصِرُّونَ عَلَى ٱلْحِنثِ ٱلْعَظِيمِ
56:46 और बड़े गुनाह (शिर्क) पर अड़े रहते थे - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

56:47 وَكَانُوا۟ يَقُولُونَ أَئِذَا مِتْنَا وَكُنَّا تُرَابًا وَعِظَـٰمًا أَءِنَّا لَمَبْعُوثُونَ
56:47 और कहा करते थे कि भला जब हम मर जाएँगे और (सड़ गल कर) मिटटी और हडिडयाँ (ही हडिडयाँ) रह जाएँगे - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

56:48 أَوَءَابَآؤُنَا ٱلْأَوَّلُونَ
56:48 तो क्या हमें या हमारे अगले बाप दादाओं को फिर उठना है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

56:49 قُلْ إِنَّ ٱلْأَوَّلِينَ وَٱلْـَٔاخِرِينَ
56:49 (ऐ रसूल) तुम कह दो कि अगले और पिछले - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

56:50 لَمَجْمُوعُونَ إِلَىٰ مِيقَـٰتِ يَوْمٍ مَّعْلُومٍ
56:50 सब के सब रोजे मुअय्यन की मियाद पर ज़रूर इकट्ठे किए जाएँगे - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

56:51 ثُمَّ إِنَّكُمْ أَيُّهَا ٱلضَّآلُّونَ ٱلْمُكَذِّبُونَ
56:51 फिर तुमको बेशक ऐ गुमराहों झुठलाने वालों - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

56:52 لَـَٔاكِلُونَ مِن شَجَرٍ مِّن زَقُّومٍ
56:52 यक़ीनन (जहन्नुम में) थोहड़ के दरख्तों में से खाना होगा - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

56:53 فَمَالِـُٔونَ مِنْهَا ٱلْبُطُونَ
56:53 तो तुम लोगों को उसी से (अपना) पेट भरना होगा - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

56:54 فَشَـٰرِبُونَ عَلَيْهِ مِنَ ٱلْحَمِيمِ
56:54 फिर उसके ऊपर खौलता हुआ पानी पीना होगा - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

56:55 فَشَـٰرِبُونَ شُرْبَ ٱلْهِيمِ
56:55 और पियोगे भी तो प्यासे ऊँट का सा (डग डगा के) पीना - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

56:56 هَـٰذَا نُزُلُهُمْ يَوْمَ ٱلدِّينِ
56:56 क़यामत के दिन यही उनकी मेहमानी होगी - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

56:57 نَحْنُ خَلَقْنَـٰكُمْ فَلَوْلَا تُصَدِّقُونَ
56:57 तुम लोगों को (पहली बार भी) हम ही ने पैदा किया है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

56:58 أَفَرَءَيْتُم مَّا تُمْنُونَ
56:58 फिर तुम लोग (दोबार की) क्यों नहीं तस्दीक़ करते - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

56:59 ءَأَنتُمْ تَخْلُقُونَهُۥٓ أَمْ نَحْنُ ٱلْخَـٰلِقُونَ
56:59 तो जिस नुत्फे क़ो तुम (औरतों के रहम में डालते हो) क्या तुमने देख भाल लिया है क्या तुम उससे आदमी बनाते हो या हम बनाते हैं - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

56:60 نَحْنُ قَدَّرْنَا بَيْنَكُمُ ٱلْمَوْتَ وَمَا نَحْنُ بِمَسْبُوقِينَ
56:60 हमने तुम लोगों में मौत को मुक़र्रर कर दिया है और हम उससे आजिज़ नहीं हैं - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

56:61 عَلَىٰٓ أَن نُّبَدِّلَ أَمْثَـٰلَكُمْ وَنُنشِئَكُمْ فِى مَا لَا تَعْلَمُونَ
56:61 कि तुम्हारे ऐसे और लोग बदल डालें और तुम लोगों को इस (सूरत) में पैदा करें जिसे तुम मुत्तलक़ नहीं जानते - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

56:62 وَلَقَدْ عَلِمْتُمُ ٱلنَّشْأَةَ ٱلْأُولَىٰ فَلَوْلَا تَذَكَّرُونَ
56:62 और तुमने पैहली पैदाइश तो समझ ही ली है (कि हमने की) फिर तुम ग़ौर क्यों नहीं करते - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

56:63 أَفَرَءَيْتُم مَّا تَحْرُثُونَ
56:63 भला देखो तो कि जो कुछ तुम लोग बोते हो क्या - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

56:64 ءَأَنتُمْ تَزْرَعُونَهُۥٓ أَمْ نَحْنُ ٱلزَّٰرِعُونَ
56:64 तुम लोग उसे उगाते हो या हम उगाते हैं अगर हम चाहते - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

56:65 لَوْ نَشَآءُ لَجَعَلْنَـٰهُ حُطَـٰمًا فَظَلْتُمْ تَفَكَّهُونَ
56:65 तो उसे चूर चूर कर देते तो तुम बातें ही बनाते रह जाते - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

56:66 إِنَّا لَمُغْرَمُونَ
56:66 कि (हाए) हम तो (मुफ्त) तावान में फॅसे (नहीं) - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

56:67 بَلْ نَحْنُ مَحْرُومُونَ
56:67 हम तो बदनसीब हैं - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

56:68 أَفَرَءَيْتُمُ ٱلْمَآءَ ٱلَّذِى تَشْرَبُونَ
56:68 तो क्या तुमने पानी पर भी नज़र डाली जो (दिन रात) पीते हो - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

56:69 ءَأَنتُمْ أَنزَلْتُمُوهُ مِنَ ٱلْمُزْنِ أَمْ نَحْنُ ٱلْمُنزِلُونَ
56:69 क्या उसको बादल से तुमने बरसाया है या हम बरसाते हैं - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

56:70 لَوْ نَشَآءُ جَعَلْنَـٰهُ أُجَاجًا فَلَوْلَا تَشْكُرُونَ
56:70 अगर हम चाहें तो उसे खारी बना दें तो तुम लोग यक्र क्यों नहीं करते - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

56:71 أَفَرَءَيْتُمُ ٱلنَّارَ ٱلَّتِى تُورُونَ
56:71 तो क्या तुमने आग पर भी ग़ौर किया जिसे तुम लोग लकड़ी से निकालते हो - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

56:72 ءَأَنتُمْ أَنشَأْتُمْ شَجَرَتَهَآ أَمْ نَحْنُ ٱلْمُنشِـُٔونَ
56:72 क्या उसके दरख्त को तुमने पैदा किया या हम पैदा करते हैं - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

56:73 نَحْنُ جَعَلْنَـٰهَا تَذْكِرَةً وَمَتَـٰعًا لِّلْمُقْوِينَ
56:73 हमने आग को (जहन्नुम की) याद देहानी और मुसाफिरों के नफे के (वास्ते पैदा किया) - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

56:74 فَسَبِّحْ بِٱسْمِ رَبِّكَ ٱلْعَظِيمِ
56:74 तो (ऐ रसूल) तुम अपने बुज़ुर्ग परवरदिगार की तस्बीह करो - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

56:75 ۞ فَلَآ أُقْسِمُ بِمَوَٰقِعِ ٱلنُّجُومِ
56:75 तो मैं तारों के मनाज़िल की क़सम खाता हूँ - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

56:76 وَإِنَّهُۥ لَقَسَمٌ لَّوْ تَعْلَمُونَ عَظِيمٌ
56:76 और अगर तुम समझो तो ये बड़ी क़सम है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

56:77 إِنَّهُۥ لَقُرْءَانٌ كَرِيمٌ
56:77 कि बेशक ये बड़े रूतबे का क़ुरान है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

56:78 فِى كِتَـٰبٍ مَّكْنُونٍ
56:78 जो किताब (लौहे महफूज़) में (लिखा हुआ) है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

56:79 لَّا يَمَسُّهُۥٓ إِلَّا ٱلْمُطَهَّرُونَ
56:79 इसको बस वही लोग छूते हैं जो पाक हैं - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

56:80 تَنزِيلٌ مِّن رَّبِّ ٱلْعَـٰلَمِينَ
56:80 सारे जहाँ के परवरदिगार की तरफ से (मोहम्मद पर) नाज़िल हुआ है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

56:81 أَفَبِهَـٰذَا ٱلْحَدِيثِ أَنتُم مُّدْهِنُونَ
56:81 तो क्या तुम लोग इस कलाम से इन्कार रखते हो - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

56:82 وَتَجْعَلُونَ رِزْقَكُمْ أَنَّكُمْ تُكَذِّبُونَ
56:82 और तुमने अपनी रोज़ी ये करार दे ली है कि (उसको) झुठलाते हो - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

56:83 فَلَوْلَآ إِذَا بَلَغَتِ ٱلْحُلْقُومَ
56:83 तो क्या जब जान गले तक पहुँचती है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

56:84 وَأَنتُمْ حِينَئِذٍ تَنظُرُونَ
56:84 और तुम उस वक्त (क़ी हालत) पड़े देखा करते हो - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

56:85 وَنَحْنُ أَقْرَبُ إِلَيْهِ مِنكُمْ وَلَـٰكِن لَّا تُبْصِرُونَ
56:85 और हम इस (मरने वाले) से तुमसे भी ज्यादा नज़दीक होते हैं लेकिन तुमको दिखाई नहीं देता - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

56:86 فَلَوْلَآ إِن كُنتُمْ غَيْرَ مَدِينِينَ
56:86 तो अगर तुम किसी के दबाव में नहीं हो - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

56:87 تَرْجِعُونَهَآ إِن كُنتُمْ صَـٰدِقِينَ
56:87 तो अगर (अपने दावे में) तुम सच्चे हो तो रूह को फेर क्यों नहीं देते - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

56:88 فَأَمَّآ إِن كَانَ مِنَ ٱلْمُقَرَّبِينَ
56:88 पस अगर वह (मरने वाला ख़ुदा के) मुक़र्रेबीन से है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

56:89 فَرَوْحٌ وَرَيْحَانٌ وَجَنَّتُ نَعِيمٍ
56:89 तो (उस के लिए) आराम व आसाइश है और ख़ुशबूदार फूल और नेअमत के बाग़ - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

56:90 وَأَمَّآ إِن كَانَ مِنْ أَصْحَـٰبِ ٱلْيَمِينِ
56:90 और अगर वह दाहिने हाथ वालों में से है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

56:91 فَسَلَـٰمٌ لَّكَ مِنْ أَصْحَـٰبِ ٱلْيَمِينِ
56:91 तो (उससे कहा जाएगा कि) तुम पर दाहिने हाथ वालों की तरफ़ से सलाम हो - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

56:92 وَأَمَّآ إِن كَانَ مِنَ ٱلْمُكَذِّبِينَ ٱلضَّآلِّينَ
56:92 और अगर झुठलाने वाले गुमराहों में से है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

56:93 فَنُزُلٌ مِّنْ حَمِيمٍ
56:93 तो (उसकी) मेहमानी खौलता हुआ पानी है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

56:94 وَتَصْلِيَةُ جَحِيمٍ
56:94 और जहन्नुम में दाखिल कर देना - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

56:95 إِنَّ هَـٰذَا لَهُوَ حَقُّ ٱلْيَقِينِ
56:95 बेशक ये (ख़बर) यक़ीनन सही है - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)

56:96 فَسَبِّحْ بِٱسْمِ رَبِّكَ ٱلْعَظِيمِ
56:96 तो (ऐ रसूल) तुम अपने बुज़ुर्ग परवरदिगार की तस्बीह करो - Suhel Khan and Saifur Nadwi (Hindi)